अमित सिंह की रिपोर्ट /राजधानी पटना के बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभागार में नव सृजन एवं सर्वांगीण विकास संस्थान की ओर माता स्वर्गीय सिया मनीदेवी और पिता स्वर्गीय राम जतन प्रसाद सिंह की स... Read more
पटना, १९ दिसम्बर। हिन्दी के महान सपूतों में से एक महाकवि रामचंद्र जायसवाल अनेकों महाकाव्यों के मनीषी सर्जक ही नहीं, एक बलिदानी स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिधर्मी महाकवि भी थे। उन्होंने हिन्दी... Read more
पटना, १६ दिसम्बर। लोकभाषाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए आवश्यक है कि लेखक कविगण अपनी रचनाओं में ‘देशज’ शब्दों का प्रयोग करें। तत्सम शब्दों से इसकी मौलिकता नष्ट होती है। आकाशवाणी के... Read more
पटना, ५ दिसम्बर । वरिष्ठ साहित्यकार और कवि अमरेन्द्र नारायण काव्य-प्रतिभा से संपन्न एक प्रभावशाली रचनाकार ही नहीं, एक समर्थ जीवनीकार भी हैं। इनका साहित्यिक व्यक्तित्व अत्यंत लुभावना है। इनकी... Read more
पटना, २९ नवम्बर। मानव-जीवन, जीवन-मूल्य, प्रेम, उत्साह और दर्शन के महान गीतकार थे हरिवंश राय बच्चन। हिन्दी-काव्य में छायावाद-काल के उत्तरार्ध में एक नूतन और मृदुल-स्पर्श लेकर आए बच्चन जी ने म... Read more
पटना, २६ नवम्बर। न्यायालयों की भाषा जितनी शीघ्रता से भारतीय भाषाएँ हो जाए, राष्ट्रहित में उतना ही अच्छा है। जनता को जनता की भाषा में ही न्याय मिले, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए। भारत का संपू... Read more
पटना, १८ नवम्बर। “कहने को तो कहते है ग़ज़ल और बहुत लोग/ कहते हैं मगर लोग की कहता हूँ ग़ज़ल मैं”। ये पंक्तियाँ सुनने में कवि की गर्वोक्ति लग सकती है, किंतु यह सत्य है कि हिन्दी और... Read more
पटना, १४ नवम्बर। केरल के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद खान ने कहा है कि देश की सभी भाषाएँ राष्ट्र की ही भाषाएँ ही है। किंतु देश को एक सूत्र में जोड़ने के लिए संपर्क की एक राष्ट्र भाषा होनी ही चाहिए... Read more
पटना, २ नवम्बर। हिन्दी काव्य के महान तपस्वी थे ‘रुद्र’ और ‘वियोगी’ । मोक्षभूमि गया के ये दोनों काव्य-पुरुष, पं मोहन लाल महतो ‘वियोगी’ और छंदों के मर्म-स्प... Read more
पटना, २८ अक्टूबर। बहुभाषाविद मनीषी आचार्यवर्य श्रीरंजन सूरिदेव ‘प्राकृत’ और ‘अपभ्रंश’ भाषाओं के अंतिम अधिकारी विद्वान थे। वे सरस्वती के लोक-प्रसिद्ध वरद-पुत्र और एक स... Read more
पटना, १२ अक्टूबर। हिन्दी जिनके प्राणों में बसती थी और जो उसके लिए सदैव प्राण त्यागने को तत्पर रहते थे, ऐसे कवि साहित्यकार थे पं जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी। खड़ी बोली हिन्दी की प्रथम पीढ़ी के म... Read more
पटना, २३ सितम्बर। ‘जला अस्थियाँ बारी-बारी, चिटकाई जिनने चिनगारी/ जो चढ़ गए पुण्य-वेदी पर, लिए बिना गर्दन का मोल / कलम आज उनकी जय बोल” ! राष्ट्र्कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर... Read more