पटना, ७ फरवरी। “पत्थरों को भी रुला जाएंगी / उन्हें सदियाँ भुला न पाएँगी / सुरों की थीं उनमें महादेवी / लता जी सदा याद आएँगी”, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने अपनी इन्हीं पक्तियों... Read more
पटना, ७ फरवरी। “पत्थरों को भी रुला जाएंगी / उन्हें सदियाँ भुला न पाएँगी / सुरों की थीं उनमें महादेवी / लता जी सदा याद आएँगी”, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने अपनी इन्हीं पक्तियों... Read more
पटना, ५ फरवरी। हिन्दी साहित्य के पुरोधा और गीत के शिखर-पुरुष थे आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री। वे बिहार के ही नही, हिन्दी साहित्य के विशाल आगार के गौरव-स्तम्भ हैं। हिन्दी के गीत-साहित्य की चर्... Read more
पटना, २ फरवरी। उपचार की सभी पद्धतियों से निराश हो चुके सभी रोगियों को अब भारत की प्राचीन योग-पद्धति से बड़ी राहत मिलने वाली है। अब योग द्वारा असाध्य रोगों का उपचार किया जाएगा। आगामी ५ फरवरी... Read more
पटना, ३० जनवरी। हिन्दी काव्य में जिन चार साहित्यिक-विभूतियों, जय शंकर प्रसाद, सुमित्रा नंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा को छायावाद-काल का स्तम्भ कहा जाता है... Read more
पटना, २८ जनवरी। कथा-साहित्य और काव्य-लालित्य के लिए सुविख्यात साहित्यकार पं प्रफुल्ल चंद्र ओझा ‘मुक्त’ अपने समय के अत्यंत महत्त्वपूर्ण साहित्यिक-हस्ताक्षर थे। साहित्य की सभी विधा... Read more
पटना, २७ जनवरी। आगामी १२-१३ फरवरी को आहूत होने वाला बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का ४१वाँ महाधिवेशन अब २-३ अप्रैल को आयोजित होगा। कोबिड-१९ के नए रूप के प्रसार के कारण, राज्य सरकार के निर्देश... Read more
पटना, २० जनवरी। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के ऊपरी तल पर एक वातानुकूलित नए सभाकक्ष का निर्माण किया जा रहा है। यह सभाकक्ष मगध विश्व विद्यालय के पूर्व कुलपति और सुख्यात कवि-कथाकार मेजर (डा)... Read more
पटना, १८ जनवरी। हिन्दी भाषा के उन्नयन में भारत के जिन महापुरुषों ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया, उनमें एक महान नाम डा लक्ष्मी नारायण सिंह ‘सुधांशु’ जी का भी है, जो बिहार हिन्द... Read more
काठमाण्डू/ पटना, १६ जनवरी। मकर संक्रांति के दिन गत शनिवार को, नेपाल में हिन्दी साहित्य सम्मेलन की स्थापना की गई। काठमाण्डू के शांति नगर स्थित तृप्ति साधना सभागार में, बिहार हिन्दी साहित्य सम... Read more
प्रियंका भारद्वाज की रिपोर्ट , १० जनवरी/हिन्दी एक सरस, मधुर और वैज्ञानिक भाषा है। यह अपने गुणों और विज्ञान-सम्मत स्वरूप के कारण पूरे विश्व में विस्तृत हो रही है। किंतु पीड़ा और लज्जा का विषय... Read more
पटना, ८ जनवरी। बाल-साहित्य में हिन्दी के लेखकों की स्याही निरंतर कम होती जा रही है। हिन्दी में इसे एक बड़े अभाव के रूप में देखा जा रहा है। बहुत थोड़े से रचनाकार इस दिशा में कुछ पग बढ़ाते दिख... Read more