विश्व हिन्दी दिवस पर आगामी १० जनवरी,२०२१ को अपराह्न २ बजे बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन, क़दमकुआँ, पटना में पुस्तक लोकार्पण एवं सम्मान-समारोह आयोजित है, जिसका उद्घाटन बिहार की उपमुख्यमंत्री श... Read more
पटना ब्यूरो /सच्चिदानंद समर्पित कवि थे जयंती पर दिया गया सांगितिक तर्पण, दो पुस्तकों का हुआ लोकार्पण
पटना, ६ जनवरी। शास्त्रीय नृत्य के महान आचार्य और बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के पूर्व कलामंत्री डा नगेंद्र प्रसाद ‘मोहिनी’ का संपूर्ण व्यक्तित्व ही मोहक था। वे कला और संगीत के म... Read more
पटना, ४ जनवरी। कवयित्री माधुरी भट्ट की कविताएँ स्त्री-विमर्श को नवीन धरातल प्रदान करती हैं। स्त्री-मन की व्यथा और आकांक्षाओं की सहज अभिव्यक्ति इनकी रचनाओं में मिलती हैं। शोषण के विरुद्ध पूरी... Read more
पटना, २ जनवरी। अंगिका भाषा और साहित्य के लिए अपना संपूर्ण जीवन न्योक्षावर करने वाले कवि डा नरेश पाण्डेय ‘चकोर’ कोमल भावनाओं से युक्त एक ऋषि-तुल्य भक्त कवि और साहित्यकार थे। अंगिक... Read more
पटना, ३० दिसम्बर। भारत के प्रथम हृदय-रोग विशेषज्ञ और ‘इंदिरा गांधी हृदय-रोग संस्थान, पटना’ के संस्थापक-निदेशक डा श्रीनिवास एक महान हृदय-रोग-विशेषज्ञ और चिकित्सक होने के साथ-साथ,... Read more
स्मृतियाँ जिनकी रुलाती हैं राजनीति की धूप में साहित्य की घनी छांव थे डा शंकर दयाल सिंह, जयंती (२७ दिसम्बर ) पर विशेष.अपनी ज़िंदादिली और उन्मुक्त ठहाकों के लिए चर्चित रहे, अपने समय के अत्यंत... Read more
पटना, २५ दिसम्बर । भारतीय आत्मा की जीवंत मूर्ति थे मालवीय जी। हिन्दी और भारतीय संस्कृति की शिक्षा के लिए दिया गया उनका अवदान कभी भुलाया नही जा सकता। वे संस्कृत, हिन्दी और अंग्रेज़ी के विश्रु... Read more
स्मृतियाँ जिनकी रुलाती हैं राजनीति की धूप में साहित्य की छांव थे डा शंकर दयाल सिंह, जयंती (२७ दिसम्बर ) पर विशेष.अपनी ज़िंदादिली और उन्मुक्त अट्टाहास के लिए चर्चित रहे, अपने समय के अत्यंत लो... Read more
पटना, १९ दिसम्बर। अंग-कोकिल डा परमानंद पाण्डेय बिहार की एक ऐसी साहित्यिक विभूति थे, जिनके नाम के स्मरण मात्र से मन को, किसी तपस्वी-महात्मा के सान्निध्य की पावन अनुभूति होती है। विद्वता, वाणी... Read more
अंगिका’ के दधीचि थे अंग-कोकिल डा परमानंद पाण्डेय. जयंती (१९ दिसम्बर,२०२०) पर विशेष.अंग-कोकिल डा परमानंद पाण्डेय बिहार की एक ऐसी साहित्यिक विभूति थे, जिनके नाम के स्मरण मात्र से मन को,... Read more
पटना, १३ दिसम्बर। साझा संग्रहों के प्रकाशन से हिन्दी काव्य-जगत में एक उत्साहप्रद स्फुरण आया है। ऐसे प्रकाशनों ने काव्य-संसार में प्रवेश को उत्सुक नव-कवियों और कवयित्रियों के लिए व्यापक मंच औ... Read more
पटना, ९ दिसम्बर। अंग्रेज़ी फ़ौज की नौकरी छोड़कर सवतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े, अपने समय के अत्यंत चर्चित और अक्खड़ कवि आचार्य रामप्रिय मिश्र ‘लालधुआँ’, एक विद्रोही कवी थे। वे सुं... Read more