आघात ! हृदय पर भीषण आघात ! हिन्दी भाषा और साहित्य के महनीय रसिक और वरिष्ठ समाजसेवी श्रीकांत सत्यदर्शी जी का शनिवार की रात्रि में निधन हो गया! मेरे अत्यंत आत्मीय और निष्ठावान मित्र थे सत्यदर्... Read more
पटना, ३० अगस्त । “कहीं से धूप का आना ज़रूरी है/ मौक़ा पाकर, मेरी भूत के बहाने / अंधेरे की परछाईं लम्बी पसर गई है/ धीरे-धीरे——“। इसी तरह की कोमल पंक्तियों और वेदना के... Read more