पटना, २३ सितम्बर। ‘ढीली करो धनुष की डोरी/ तरकश का कस खोलो/ किसने कहा, युद्ध की वेला चली गई, शांति से बोलो? किसने कहा,और मत वेधो हृदय वह्नि के शर से/ भरो भुवन का अंग कुंकुम से, कुसुम से... Read more
पटना, २३ सितम्बर। ‘ढीली करो धनुष की डोरी/ तरकश का कस खोलो/ किसने कहा, युद्ध की वेला चली गई, शांति से बोलो? किसने कहा,और मत वेधो हृदय वह्नि के शर से/ भरो भुवन का अंग कुंकुम से, कुसुम से... Read more
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