पटना से कौशलेन्द्र पाण्डेय
पटना, १२ नवम्बर। अपने जीवन को किस प्रकार मूल्यवान और गुणवत्तापूर्ण बनाया जा सकता है, इसके जीवंत उदाहरण और प्रेरणा–पुरुष थे, वयोवृद्ध साहित्यसेवी जगत नारायण प्रसाद ‘जगतबंधु‘। इनका अनुशासित और कल्याणकारी जीवन स्वयं हीं एक ऐसा ग्रंथ रहा, जिसका अध्ययन कर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को मूल्यवान और सार्थक बना सकता है। ९२ वर्ष की अवस्था में भी, वे ७० वर्ष के किसी व्यक्ति से अधिक स्वस्थ, सक्रिय और ज़िंदादिल दिखते थे। इन्हें देखकर इनकी आयु का अनुमान करना कठिन था। इनके क्रियाशील और स्वस्थ लंबे जीवन का रहस्य यह था कि वे सामान्य वेश–भूषा में एक साधु–पुरुष थे। जीवन से सात्विक–प्रेम रखने वाले और सबके लिए कल्याण की सदकामना रखने वाले कर्म–योगी थे जगतबंधु जी।
यह बातें मंगलवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, सम्मेलन के संरक्षक सदस्य जगतबंधु जी के निधन पर आयोजित शोक–गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि, बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के रूप में अपनी निष्ठापूर्ण सेवाओं से अवकाश लेने के पश्चात वे साहित्य की ओर अभिमुख हुए और हिन्दी साहित्य की भी उसी निष्ठा से सेवा की। ‘गीतांजलि‘ के नाम से ‘गीता‘ पर हिन्दी में लिखी इनकी पुस्तक, इनके विशद आध्यात्मिक ज्ञान, चिंतन और लेखन–सामर्थ्य का हीं परिचय नहीं देती, पाठकों को गीता के सार को समझने की भूमि भी प्रदान करती है। तत्व–ज्ञान से परिपूर्ण श्री जगतबंधु का आदर्श जीवन शलाघ्य और अनुकरणीय है।
अपने शोक–उद्गार में सम्मेलन के प्रधानमंत्री और सुप्रसिद्ध समालोचक डा शिववंश पाण्डेय ने कहा कि, जगतबंधु जी की एक बड़ी ख़ूबी यह थी कि वे जिस काम को अपने हाथ में लेते थे, उसको पूर्णता देने के बाद हीं साँस लेते थे। इनकी हीं कर्मठता से महाकवि राम दयाल पाण्डेय स्मृति–ग्रंथ, कवि रमण स्मृति–ग्रंथ तथा सच्चिदानंद सिन्हा स्मृति–ग्रंथ का प्रकाशन हो सका।
सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्रनाथ गुप्त, अर्थमंत्री योगेन्द्र प्रसाद मिश्र, आचार्य पाँचु राम, डा नागेश्वर प्रसाद यादव, ई जनार्दन प्रसाद सिंह, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, अमित कुमार सिंह, कृष्णरंजन सिंह आदि ने भी अपने शोकोदगार प्रकट किए। स्मरणीय है कि जगतबंधु जी का निधन आज हीं प्रातः साढ़े तीन बजे, पटेल नगर स्थित अपने आवास पर हो गया। एक सप्ताह पूर्व उन्हें छाती में तकलीफ़ की शिकायत पर उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और एक दिन पहले हीं स्वस्थ होकर घर लौटे थे। उनके निधन से, उनके परिजनों और साहित्य समाज में शोक की लहर है। उनके पार्थिव शरीर का अग्नि–संस्कार, बुधवार को ११ बजे, गुल्बी–घाट पर किया जाएगा।