पटना – कैशलेन्द्र पाण्डेय,
पटना, १८ नवम्बर। गुलों में रंगो–बू भी है उनसे/ उन्हों पे जानो–दिल लुटाता हूँ — , “ भूख लगे तो मिट्टी–सोना एक बराबर लगता है —- जैसी पंक्तियाँ हवा में तैरती रहीं और गीत–ग़ज़ल के कदरदान उन्हें दिल में बिठाते रहे। अवसर था, स्मृतिशेष कवि पं बुद्धिनाथ झा ‘कैरव‘ की जयंती पर, साहित्य सम्मेलन में आयोजित कवि–सम्मेलन का। सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ की अध्यक्षता में आयोजित इस समारोह और कवि–सम्मेलन का उद्घाटन —– ने किया।
कवि राज कुमार प्रेमी ने मंगलाचरण से कवि–सम्मेलन की शुरुआत की। वरिष्ठ कवि डा शंकर प्रसाद ने जब यह कहा कि, “ग़ुरबत में अब हँसना–रोना एक बराबर लगता है/ भूख लगे तो मिट्टी–सोना एक बराबर लगता है” तो सभागार तालियों से गूँज उठा।
अपने अध्यक्षीय काव्य–पाठ में डा सुलभ ने अपनी ताजा ग़ज़ल को स्वर देते हुए कहा कि, प्रेम का गीत सदा गाता हूँ/ रूक्ष काटों को गले लगाता हूँ/ गुलों में रंगो–बू भी है उनसे/ उन्हों पे जानो–दिल लुटाता हूँ।
वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, प्रो इंद्रकांत झा, शुभ चंद्र सिन्हा, आनंद किशोर मिश्र, रंजन कुमार, माधुरी भट्ट, कुमार अनुपम, संजू शरण, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, पं गणेश झा, प्रभात धवन, राज किशोर झा, श्वेता मिनी, डा शालिनी पाण्डेय, डा मीना कुमारी, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, डा सविता मिश्र मागधी तथा अरविंद कुमार ने भी अपने काव्यपाठ से श्रोताओं को झूमने पर विवश किया।
इस अवसर पर मगही के वरिष्ठ लेखक राम रतन प्रसाद सिंह ‘रत्नाकर‘ के मगही उपन्यास ‘अन्नदाता‘ का लोकार्पण किया गया।
आरंभ में स्मृति–शेष कवि पं बुद्धिनाथ झा ‘कैरव‘ के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। अपने उद्गार में सम्मेलन अध्यक्ष डा सुलभ ने कहा कि ‘कैरव‘ जी बहु आयामी प्रतिभा और व्यक्तित्व के कवि थे। वे प्रखर साहित्यकार, स्वतंत्रता सेनानी और लोकप्रिय राजनेता थे। वे गोड्डा से लगातार १२ वर्षों तक विधायक रहे, किंतु अपने लिए एक घर तक नहीं बना सके। उनकी निष्ठा और ईमानदारी आज भी प्रेरणा देती है। उन्होंने जीवन की वेदना के गीत गाए। वे साहित्य सम्मेलन से आत्मीय भाव से जुड़े हुए थे। प्रचार मंत्री के रूप में उन्होंने पूरे प्रदेश में साहित्य–मनीषियों को सम्मेलन से जोड़ने तथा ज़िला सम्मेलनों को सशक्त बनाने का मूल्यवान कार्य किया।
सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्र नाथ गुप्त, प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय, डा कल्याणी कुसुम सिंह, पत्रकार प्रभात वर्मा तथा विनायक पाण्डेय ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संचालन योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने किया।