बिहार ,
किसी भी युवा व उससे जुड़े राज्य और देश के लिए राष्ट्रीय स्तर पर खेलना किसी बड़ी उपलब्धि से कम बात नहीं होती… वहीं, जब राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को जब सही सम्मान नहीं मिलता तो वही खिलाड़ी जो अब तक अपने देश की जीत के लिए जी-जान लगा रहा था उसे ही अपने देश व देश के लोगों से घृणा हो जाती है और वह अपने प्रिय खेल से भी कोसो दूर हो जाता है।
ऐसी ही एक घटना बिहार की राजधानी पटना में देखने को मिल रही है… जहां राष्ट्रीय स्तर के एक तैराक को अपने घर-परिवार की रोजी-रोटी के लिए चाय बेचनी पड़ रही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि राष्ट्रीय स्तर के कई पदक अपने नाम कर चुके गोपाल यादव पटना के काजीपुर इलाके में एक छोटी सी दुकान में चाय बेचने का काम कर रहे हैं।
राष्ट्रीय स्तर में खेल चुके इस तैराक का नाम गोपाल है… और तो और इसने अपनी चाय की दुकान का नाम नेशनल तैराक टी स्टॉल ही रख दिया है। गोपाल ने कहा कि ‘उन्होंने कई जगहों पर नौकरी के लिए आवेदन किया लेकिन सभी को रिश्वत चाहिए थी, जिसकी वजह से उन्हें नौकरी नहीं मिल पाई’…
गोपाल ने आगे कहा कि उनके बच्चे भी अच्छा तैरना जानते है, लेकिन उन्होंने अपने पिता की स्थिति को देखकर तैराकी से मन हटा लिया या यूं कहे कि छोड़ दिया है। गोपाल जो राष्ट्रीय सत्र पर खेल चुके हैं… वह भला तैराकी से कैसे मन हटा सकते हैं… उन्होंने अपने अंदर के तैराक को आज भी जिंदा रखा है और अपने हुनर को वह बेकार नहीं जाने देते हैं। चाय बेचने के साथ-साथ वह गंगा नदी में तैराकी भी सिखाने का काम कर रहे हैं।
गोपाल की इस स्थिति को देखते हुए यह बात साफ हो गई है कि हमारे देश में एथलिटों की क्या दशा है… एक राष्ट्रीय स्तर के तैराक को सड़क किनारे टी स्टॉल खोलकर चाय बेचनी पड़ रही है…
प्रिया सिन्हा