कौशलेन्द्र पाण्डेय,पोलिटिकल संवाददाता
पटना, २५ नवम्बर। सिख-पंथ के प्रथम गुरु नानकदेव जी महाराज ने संसार को सत्य के स्वयं हीं अनुशीलन करने तथा प्रेम की शिक्षा दी। इसी पंथ और परंपरा के ९वें गुरु, गुरु तेग़ बहादुर सिंह जी ने अपने वलिदान से, सत्य और मानवता के लिए वलिदान की शिक्षा दी। भारतीय दर्शन और संस्कृति के इन दोनों हीं महान संरक्षकों ने दुनिया को बाह्य आडंबरों से निकल कर, निरंतर परिसकार की प्रक्रिया को गतिमान रखते हुए, संपूर्ण मानव जाती के उन्नयन का मार्ग दिया। उनका संदेश दिव्य प्रेम से स्वयं को भर कर एक आनंदप्रद जीवन जीने योग्य समृद्ध समाज का निर्माण करना है।
यह बातें सोमवार को, प्रबुद्ध हिंदू समाज के तत्त्वावधान में, पटेल नगर स्थित देव पब्लिक स्कूल में सिख-पंथ के प्रथम गुरु नानक देव की ५५१वीं तथा ९वें गुरु तेग़ बहादुर सिंह जी की ३४५वीं जयंती पर आयोजित समारोह का उद्घाटन करते हुए, संस्था के मुख्य संरक्षक डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि नानकदेव ने अपनी आंतरिक साधना से अपने स्वयं के भीतर स्थित उस परम चैतन्य को प्राप्त कर लिया था और वे निरंतर घूमते हुए, इसी तत्व का प्रचार करते रहे। उन्होंने कहा कि तेरा साईं तुझ में हीं है। तू और कहाँ ढूँढ रहे हो !
समारोह के मुख्य अतिथि और पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि, व्यक्ति का अपना मार्ग-दर्शक उसके भीतर हीं होता है। किंतु वह उसकी सुनता हीं नहीं। अपना हीं शुद्ध और स्वस्थ विचार मनुष्य का पाठ प्रदर्शित करता है।
प्रो जनारदान सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस समारोह में प्रो दीपक कुमार शर्मा, ई सत्येंद्र नारायण सिंह, डा अवध विहारी जिज्ञासु, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, ई भूपेन्द्र नारायण सिंह, रंजन कुमार मिश्र तथा रत्नेश आनंद ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अतिथियों का स्वागत संस्था के महासचिव आचार्य पाँचु राम ने तथा मंच का संचालन विद्यालय के निदेशक डा दिनेश कुमार देव ने किया।