पटना कौशलेन्द्र पराशर,
पटना, २ दिसम्बर । बिहार में विकलांगजनों को जिन्हें सरकार अब दिव्यांग कहने लगी है, के वैज्ञानिक दृष्टि से मूल्यांकन तथा शारीरिक,शैक्षणिक और आर्थिक पुनर्वास के लिए, अलग से एक विभाग का सृजन किया जाना आवश्यक है। केंद्र सरकार समेत देश के अनेक प्रांतों में अलग से विकलांग–पुनर्वास विभाग है। पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश और बंगाल की सरकारों में भी अलग से यह विभाग है। पुनर्वास की गति में तभी अपेक्षित तेज़ी आ सकती है और उन्हें विकास की मुख्य–धारा में लाया जा सकेगा।
यह बातें, सोमवार को, इंडियन इंस्टिच्युत औफ़ हेल्थ एजुकेशन ऐंड रिसर्च, बेउर में, विश्व विकलांग दिवस पर आयोजित पाँच दिवसीय समारोह तथा चिकित्सा–विज्ञान पुस्तक–मेला के उद्घाटन समारो की अध्यक्षता करते हुए,संस्थान के निदेशक–प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि, दुनिया भर में विकलांगजनों की ओर शेष समाज का ध्यान आकृष्ट करने के लिए प्रत्येक ३ दिसम्बर को ‘विश्व विकलांग दिवस‘ मनाया जाता है। इसका अच्छा परिणाम सामने आया है, और अब सामान्य लोगों की दृष्टि में परिवर्तन आया है। विकलांगजन भी अब भीख माँगने के स्थान पर कठोर परिश्रम कर स्वयं को आत्म–निर्भर और समाजोपयोगी बना रहे हैं।
समारोह के मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि, मनुष्य देह नहीं है। देह मनुष्य का होता है। यह मनुष्य के उपयोग का उपकरण है। हर एक व्यक्ति को अपने शरीर को निरंतर क्रियाशील बनाए रखने के लिए, उसे स्वस्थ रखना चाहिए। हर एक व्यक्ति को दूसरों का भी,विशेष रूप से विकलांगजन जैसे अपेक्षाकृत कमज़ोर व्यक्तियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
संस्थान के पुनर्वास विभाग के अध्यक्ष डा अनूप कुमार गुप्ता, विशेष शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो कपिल मुनि दूबे, आभास कुमार तथा सी बी एस प्रकाशन के अधिकारी तपन चटर्जी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संचालन डा अबनीश रंजन ने किया। इस अवसर पर डा अंजु कुमारी, संतोष कुमार सिंह, सुधीर ठाकुर समेत सैकड़ों की संख्या में छात्रगण उपस्थित थे। आरंभ में संगीताचार्य पं श्याम किशोर के निर्देशन में दिव्यांग छात्रा–छात्राओं ने स्वागत–गान से अतिथियों का स्वागत किया।
इसके पूर्व संस्थान परिसर में चिकित्सा–विज्ञान की पुस्तकों के मेले का उद्घाटन किया गया। पुस्तक–मेले में मेडिकल, पारा–मेडिकल, पुनर्वास–