पटना कौशलेन्द्र पाण्डेय ,
३ दिसम्बर । प्रत्येक व्यक्ति में कोई न कोई विशेष गुण होता है। दिव्यांग जनों में यह और भी विकसित रूप में होता है। इनमें आत्म–बल भर कर, इनके विशेष गुणों को और विकसित कर हम उनका हीं नहीं समाज का भी भला कर सकते हैं। राष्ट्र के विकास में दिव्यांग जनों की भी भागीदारी हो सकती है, यदि हम मिलकर अपना दायित्व निभाएँ।
यह बातें मंगलवार को, इंडियन इंस्टिच्युट औफ़ हेल्थ एजुकेशन ऐंड रिसर्च, बेउर में, विश्व विकलांग दिवस पर, भारत सरकार के समेकिट पुनर्वास केंद्र, पटना के सौजन्य से आयोजित दिव्यांग पुनर्वास शिविर का उद्घाटन करते हुए, बिहार के सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह ने कही। श्री सिंह ने, समारोह में उपस्थित बिहार विकलांग जनाधिकार मंच के अध्यक्ष डा सुनील कुमार सिंह के आग्रह पर, अपने सहकारिता विभाग में विकलांग जनों के लिए सहकारिता–समूह बनाने का आश्वासन भी दिया।
उन्होंने कहा कि, हम सबको अपने समाज और राष्ट्र के समुचित विकास के लिए, अपने से कमज़ोर व्यक्तियों की सहायता और अपने पर्यावरण की रक्षा भी करनी चाहिए।
समारोह के मुख्य अतिथि और मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति मेजर बलबीर सिंह ‘भसीन‘ ने कहा कि, विकलांगजनों के प्रति जो व्यक्ति या समाज हिक़ारत की नज़र रखता है, वह ख़ुद मानसिक विकलांग है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए, संस्थान के निदेशक–प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कहा कि, विकलांग जनों के प्रति शेष समाज के ध्यानाकर्षण के लिए, पूरी दुनिया में प्रत्येक ३ दिसम्बर को विश्व विकलांग दिवस मनाया जाता है। इसका बहुत हीं गहरा प्रभाव पड़ा है। विकलांग जनों में आत्म–बल का विकास हुआ है। अब ग़रीब विकलांग भी भीख माँगने के स्थान पर स्वयं को आत्म–निर्भर बना रहे हैं। उन्होंने नौजवानों से आग्रह किया कि वे दया की भावना से नहीं बल्कि प्रेम और सहानुभूति की भावना से विकलांग जनों को अपना सहयोग और समर्थन दें। उन्होंने बिहार सरकार में एक अलग से विकलांग पुनर्वास विभाग सृजित करने की माँग भी दुहराई।
बिहार नेत्रहीन परिषद के महासचिव डा नवल किशोर शर्मा, बिहार विकलांग अधिकार मंच के अध्यक्ष डा सुनील कुमार सिंह, सी आर सी के शिविर प्रभारी विनोद कुमार, स्पीच पैथोलौजिस्ट डा विकास कुमार सिंह, आभास कुमार, प्रोस्थेटिक इंजीनियर प्रवीण कुमार तथा विशेष शिक्षा विभाग के अध्यक्ष कपिल मुनि दूबे ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
शिविर में १७ दिव्यांगों को चल–कुर्सी, श्रवण–यंत्र और बैशाखी निःशुल्क प्रदान किए गए । इनके अतिरिक्त १५२ दिव्यांगो को सहाय्य–सामग्रियों के लिए चिन्हित किया गया जिन्हें एक अन्य वितरण शिविर में तिपहिया साइकिल, चल–कुर्सी, कृत्रिम–अंग