पटना,कौशलेन्द्र पाण्डेय,
५ दिसम्बर । दिव्यांग जन अधिनियम–२०१६ में, दिव्यांगों के अधिकार को और व्यापक किया गया है। अब इसकी परिभाषा में २१ प्रकार की विकलांगताएँ सम्मिलित की गई हैं। हिमोफ़िलिया, पार्किंशन, एसिड से जलाए गए लोग, बौने तथा कुष्ट–रोगी भी अब विकलांग माने जाएँगे। दिव्यांग जनों को समानता के अधिकार के साथ, भूमि–आबंटन एवं ग़रीबी उन्मूलन की योजनाओं में भी ५ रतिशत का आरक्षण दिया गया है। उनके सभी अधिकारों की रक्षा का दायित्व सरकार का है। अधिकार हनन करने वालों को कड़ा दंड दिए जाने का भी,अधिनियम में प्रावधान किया गया है।
यह बातें गुरुवार को, इंडियन इंस्टिच्युट औफ़ हेल्थ एजुकेशन ऐंड रिसर्च, बेउर में, विश्व विकलांग दिवस पर आयोजित पाँच दिवसीय समारोह के चौथे दिन दो दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए, संस्थान के निदेशक–प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि, विकलांगता की सूची में, नेत्र–हीं, मूक–बधिर, हाथ–
समारोह के मुख्य अतिथि और पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा एस एन पी सिन्हा ने कहा कि अब समय आ गया है, जब दिव्यांगजन अपने मनोबल और कार्यों से सकलांगों को शिक्षा दे रहे हैं। इन लोगों में अंतर की शक्ति बहुत हीं दृढ़ होती है।
भारत सरकार के राष्ट्रीय संस्थान ‘राष्ट्रीय बहु–दिव्यांगता जन सशक्तिकरण संस्थान, चेन्नई‘ के सौजन्य से, ‘दिव्यांग जन अधिनियम–२०१६ का प्रभाव‘ विषय पर आयोजित इस दो दिवसीय कार्यशाला में डा नीरज कुमार वेदपुरिया, डा अबनीश रंजन, डा अनूप कुमार गुप्ता, कल्पना झा, नेत्र–हीन विशेष–शिक्षिका रागी शर्मा, प्रो कपिल मुनि दूबे तथा सुधीर कुमार ठाकुर ने भी अपने वैज्ञानिक पत्र प्रस्तुत किए। धन्यवाद–ज्ञापन संतोष कुमार सिंह ने किया। मुख्य अतिथि द्वारा सी आर ई के सभी प्रतिभागियों को प्रतिभागिता–प्रमाण–पत्र दिया गया।
विश्व विकलान दिवस समारोह के अंतर्गत आज दिव्यांग बच्चों की चित्रांकन प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें विशेष–बच्चों ने कैनवास पर अपने भाव उकेरे।