नई दिल्ली-कौशलेन्द्र पांडेय,
विपक्ष के जोरदार विरोध के बावजूद सोमवार देर रात को लोकसभा ने नागरिकता संशोधन बिल, 2019 को पास कर दिया. करीब 7 घंटे तक चली तीखी बहस के बाद ये बिल पास हुआ, जिसे मोदी सरकार की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है. हालांकि, विपक्ष इसे भारत के लिए काला दिन बता रहा है. लोकसभा में तो बिल पास हो गया लेकिन अब राज्यसभा की बारी है. इस बिल के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान समेत आस पास के देशों से भारत में आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी धर्म वाले लोगों को नागरिकता दी जाएगी.नागरिक संशोधन बिल अगर कानून का रूप ले लेता जाता है तो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों को CAB के तहत भारत की नागरिकता दी जाएगी।नागरिकता संशोधन बिल के चलते जो विरोध की आवाज उठ रही है उसकी वजह ये है कि इस बिल के प्रावधान के मुताबिक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी। कांग्रेस समेत कई पार्टियां इसी आधार पर बिल का विरोध कर रही हैं।देश के पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है, और उनकी चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है।BJP की सहयोगी असम गण परिषद (AGP) ने वर्ष 2016 में लोकसभा में पारित किए जाते वक्त बिल का विरोध किया था, और सत्तासीन गठबंधन से अलग भी हो गई थी, लेकिन जब यह विधेयक निष्प्रभावी हो गया, AGP गठबंधन में लौट आई थी.
शिवसेना नेता संजय राउत ने भी एक ट्वीट किया है. उन्होंने कहा है, ‘गैरकानूनी घुसपैठियों को बाहर फेंका जाना चाहिए. प्रवासी हिन्दुओं को नागरिकता देनी होगी, लेकिन अमित शाह जी, वोट बैंक बनाने के आरोपों को विराम दें, और उन्हें मताधिकार न दें – इस पर आप क्या कहते हैं? और हां, पंडितों का क्या हुआ, क्या अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद वे कश्मीर लौट गए’. एक तरह से शिवसेना इस मुद्दे पर बीजेपी के साथ नजर आ रही है जिसने महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई है और जबकि ये दोनों पार्टियां इस बिल का विरोध कर रही हैं.