रांची-संजय कुमार,
कोयले और यूरेनियम की खदान के लिए पूरी दुनिया में मशहूर झारखंड की सियासत में एक नए सूरज का उदय होने जा रहा है। झारखंड विधानसभा चुनाव में महागठबंधन बनाकर बीजेपी की बादशाहत को खत्म करने वाले हेमंत सोरेन आज मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। भाई की मौत के बाद परिस्थितिवश राजनीति में कदम रखने वाले हेमंत सोरेन अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं। 19वीं सदी के आदिवासी नायक बिरसा मुंडा और बाबा साहेब को अपना आदर्श मानने वाले हेमंत सोरेन जीत के बाद साइकिल चलाते दिखे। यही नहीं उन्होंने फूलों के बुके की जगह ‘बुक’ देने की अपील कर लोगों का दिल छू लिया।मगढ़ जिले के नेमरा गांव में शिबू सोरेन ऊर्फ गुरुजी और रूपी के घर 10 अगस्त, 1975 को पैदा हुए हेमंत सोरेन ने बीआईटी मेसरा से मकैनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई की है। 2005 में विधानसभा चुनावों के साथ उन्होंने चुनावी राजनीति में कदम रखा जब वह दुमका सीट से मैदान में उतरे थे। हालांकि, उन्हें पार्टी के बागी नेता स्टीफन मरांडी से हार झेलनी पड़ी। इसके बाद 2009 में बड़े भाई दुर्गा की मौत ने हेमंत की जिंदगी में बड़ा मोड़ ला दिया। दुर्गा को शिबू सोरेन का उत्तराधिकारी माना जाता था लेकिन किडनी खराब हो जाने से उनकी असमय मौत हो गई।उसी समय चिरुडीह हत्याकांड में शिबू सोरेन को दोषी ठहराया गया। मजबूरी में शिबू सोरेन को हेमंत सोरेन को अपना उत्तराधिकारी बनाना पड़ा। हेमंत सोरेन राज्य सभा के सांसद के तौर पर 24 जून, 2009 से लेकर 4 जनवरी, 2010 के बीच संसद पहुंचे। सितंबर में वह बीजेपी/जेएमएम/जेडीयू/एजेएसयू गठबंधन की अर्जुन मुंडा सरकार में झारखंड के उपमुख्यमंत्री बने। इससे पहले वह 2013 में राज्य के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने और दिसंबर 2014 तक इस पद पर रहे। वर्ष 2014 में राज्य में बीजेपी की सरकार बन गई और हेमंत सोरेन नेता प्रतिपक्ष बने।