पंजाब /निखिल दुबे
विधानसभा में शिरोमणि अकाली दल के विधायक दल के नेता और पूर्व वित्त मंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा ने शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। परमिन्दर ढींडसा का इस्तीफा मंजूर होने के बाद अकाली दल ने शरणजीत सिंह ढिल्लों को विधानसभा में विधायक दल का नेता बनाया है। शरणजीत ढिल्लों हलका साहनेवाल से विधायक हैं। इसका ऐलान अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने खुद किया है। बताने योग्य है कि परमिन्दर ढींडसा ने कुछ समय पहले ही पार्टी प्रधान सुखबीर बादल को अपना इस्तीफा भेजा था, जिसको शुक्रवार को मंजूर कर लिया गया।जैसे ही परमिंदर ने ट्वीट किया, उसके तुरंत बाद सुखबीर बादल ने ढिल्लाें के नाम का ऐलान कर दिया। गजब की बात है कि लोकसभा चुनाव के बाद अगस्त में परमिंदर को यह जिम्मा मिला था और अब महज 5 महीने में ही उन्होंने पद छोड़ भी दिया। इसके पीछे कारण क्या है, यह भी समझ से परे की बात है।
दरअसल, नाराजगी काफी पुरानी है। मई में हुए लोकसभा चुनाव के वक्त भी पार्टी के कद्दावर नेता सुखदेव सिंह ढींडसा ने अपने बेटे के लिए प्रचार करने से इनका कर दिया था। इसके बाद सितम्बर में राज्यसभा में पार्टी के नेता का पद छोड़ा तो अक्टूबर में उन्होंने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था।
सबसे बड़ी बात नाराजगी वाली उस वक्त सामने आई, जब दिसंबर में जब शिरोमणि अकाली दल बादल का स्थापना दिवस समारोह चल रहा था और उस दौरान विधानसभा में पार्टी के नेता के रूप में सुखदेव सिंह के पुत्र परमिंदर सिंह शामिल नहीं हुए थे। इतना ही नहीं, इसके बाद नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में सुखबीर बादल के नेतृत्व में पटियाला में आयोजित धरने में भी परमिंदर शामिल नहीं हुए। इन्हीं बातों के आधारर पर राजनैतिक गलियारों में चर्चा आम हो चली थी कि परमिंदर ढींडसा का अकाली दल से मोह भंग हो गया है। इस्तीफा मंजूर करने के बाद ही सुखबीर बादल ने शरणजीत ढिल्लों को यह जिम्मेदारी सौंप दी।
यहां यह भी बताने योग्य है कि चाहे ढींडसा ने विधायक दल के पद से इस्तीफा दे दिया है परन्तु वह अभी भी पार्टी के विधायक हैं। फिलहाल अभी तक परमिन्दर ढींडसा की ओर से कोई भी बयान सामने नहीं आया है। अब जब सुखबीर बादल ने परमिन्दर ढींडसा का इस्तीफा मंजूर कर लिया है तो इस पर देखना दिलचस्प होगा कि परमिन्दर ढींडसा का अगला कदम क्या होगा।