पटना-कौशलेन्द्र पाण्डेय,
पटना, ६ जनवरी। नृत्य के ऋषि आचार्य थे डा नगेंद्र प्रसाद ‘मोहिनी‘। नई पीढ़ी को नृत्य में प्रशिक्षित करने तथा नृत्य–साहित्य के लेखन में उनका महान अवदान है। वहीं अंगिका के तपस्वी साधक थे डा नरेश पाण्डेय ‘चकोर‘।अंगिका भाषा और साहित्य के लिए उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन न्योक्षावर कर दिया। वे कोमल भावनाओं से युक्त एक ऋषि–तुल्य भक्त कवि और साहित्यकार थे।
यह बातें आज यहां बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में, डा मोहिनी और डा चकोर की जयंती पर आयोजित संगीतांजलि और काव्यांजलि समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि, चकोर जी का प्राण अंगिका में बसता था। डेढ़ सौ से अधिक छोटी–बड़ी पुस्तकों से उन्होंने ‘अंगिका‘ का भंडार भरा। उन्होंने कहा कि मोहिनी जी का संपूर्ण व्यक्तित्व मोहक था। वे तन,मन और विचारों से भी सुंदर और गुणी कलाकार तथा आचार्य थे। कलामंत्री के रूप में उन्होंने सम्मेलन को जो सेवाएँ दीं, वो अपूर्व हैं।
समारोह का उद्घाटन करते हुए, पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा एस एन पी सिन्हा ने कहा कि, कला, संगीत और साहित्य मानव–जीवन का महत्वपूर्ण पाथेय है। इनके अभाव में जीवन सुखदायी नहीं हो सकता। चकोर जी और मोहिनी जी ऐसे लोगों में थे, जिन्होंने जीवन के इस मूल तत्व को अपने जीवन में उतारा था।
अतिथियों का स्वागत करते हुए, सम्मेलन के प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय ने कहा कि, चकोर जी जीवन–पर्यन्त ‘अंगिका‘ के लिए जीते–मरते रहे। अपने जन्म–दिवस को ‘अंगिका–महोत्सव‘ के रूप में मनाते थे। अंगिका में प्रकाशित पुस्तकों और पत्रिकाओं की प्रदर्शनी लगाया करते थे। मोहिनी जी ने संगीत साहित्य पर अनेक पुस्तकें लिखीं।
सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, डा कल्याणी कुसुम सिंह, डा भूपेन्द्र कलसी, डा चकोर के पुत्र डा विधु शेखर पाण्डेय, उनकी पुत्री डा सरिता सुहावनी, सुप्रसिद्ध नालवादक अर्जुन चौधरी तथा अमियनाथ चटर्जी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर आयोजित काव्यांजलि का आरंभ कवयित्री चंदा मिश्र की वाणी–वंदना से हुआ। वरिष्ठ कवयित्री डा सुधा सिन्हा, राज कुमार प्रेमी, डा आर प्रवेश, श्रीकांत व्यास, नीता सिन्हा,विजय कुमार तिवारी, नेहाल कुमार सिंह ‘निर्मल‘ आदि कवियों ने काव्यांजलि दी।
इस अवसर पर कलाकक्ष और साहित्य सम्मेलन नृवागा संगीत अकादमी की ओर से दोनों सांस्कृतिक–विभूतियों को संगीतांजलि भी दी गई। सम्मेलन की कला मंत्री डा पल्लवी विश्वास के निर्देशन में प्रस्तुत गीत–नृत्य की, तालियों की गड़गड़ाहट से दर्शकों की भरपूर सराहना मिली। वरिष्ठ कलाकार अविनय काशीनाथ ने आरंभ में मुरली–वादन और फिर गायन प्रस्तुत किया। नवोदित कलाकारों ने कथक नृत्य प्रस्तुत किया, इसमें वंशिका रानी, राज नंदिनी, काशिका, पार्थिवि, रीति