नई दिल्ली-कौशलेन्द्र पाण्डेय,
दिल्ली हाईकोर्ट ने शाहीन बाग इलाके में पुलिस बैरिकेड्स हटाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया क्योंकि इससे ट्रैफ़िक समस्या हो रही है। इस याचिका में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी
के विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने की मांग की गई थी जिसे हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया। दक्षिणी दिल्ली के शाहीनबाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ महिलाओं के चल रहे प्रदर्शन को चार जनवरी से जामिया के छात्रों का समर्थन मिल रहा है। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रदर्शनकारियों का कहना है कि शाहीनबाग का प्रदर्शन कमजोर न पड़े, इसलिए वे अपनी उपस्थिति यहां दर्ज करवा रहे हैं। दरअसल, शाहीनबाग में सीएए का विरोध स्थानीय महिलाओं द्वारा किया जा रहा है, पहली बार चार जनवरी को जामिया के प्रदर्शनकारी शाहीनबाग पहुंचे थे, जहां पिछले 21 दिनों से प्रदर्शन कर रही हजरत बेगम का कहना है कि जामिया के इन बच्चों के यहां पहुंचने से अब उनकी हिम्मत और बढ़ गई है। करीब 60 वर्षीय हजरत बेगम हर रोज रात 12 बजे तक शाहीनबाग में धरने पर बैठती हैं। जामिया से शाहीन बाग आई आई आई नुसरत का कहना है की शाहीन बाद में जरूर कुछ लोकल नेता घुस आए हैं, लेकिन अभी भी इस धरने का मकसद सीएए कानून की मुखालफत ही है। आईआईटी के छात्र आसिफ व उनकी टीम ने टीम ने शाहीन बाग में बैठी महिलाओं से धरना करने की गुजारिश की है। हालांकि अब इस अपील का कोई खास असर दिखता नहीं पड़ता। धरना दे रही नूरा ने कहा, “अब चाहे जो हो जाए, हम इस कानून को वापस लिए जाने से पहले यहां से नहीं हिलेंगी। हम पुलिस की गोली खाने को भी तैयार हैं, लेकिन बिना सीएए कानून खारिज हुए हम यहां से नहीं हटेंगी।”