उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हाल ही में हुए हिंसक प्रदर्शनों को लेकर केरल के संगठन पीएफआई के साथ आर्थिक लेन-देन को लेकर प्रवर्तन निदेशालय के कथित नोट पर घमासान मचा हुआ है । सीएए के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शनों के पीछे पोपुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) की साजिश के सबूत मिलने लगे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सीएए के विरोध प्रदर्शनों के दौरान पीएफआइ और उसके सहयोगी संगठनों के बैंक खातों में लेन-देन का विस्तृत ब्यौरा गृह मंत्रालय को सौंपा है। इससे साफ पता चलता है कि इस दौरान पीएफआइ के खाते में बड़ी मात्रा में रकम जमा किये गए और निकाले गए, जो पहले के पैटर्न से बिल्कुल अलग है। पुरानी लेन-देन के सिलसिले में पीएफआइ के खाते से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल को कुल 77 लाख रुपये, इंदिरा जयसिंह को चार लाख रुपये और दुष्यंत दबे को 11 लाख रुपये दिये जाने के साथ-साथ एनआइए द्वारा आरोपित अब्दुल समद को 3.10 लाख रुपये और न्यू जोथी ग्रुप को एक करोड़ 17 लाख रुपये दिये जाने का जिक्र है। इसमें पीएफआइ कश्मीर को भी एक करोड़ 65 लाख रुपये दिये जाने का जिक्र है।पीएफआइ और सिब्बल ने कहा- ये पैसे हदिया केस के सिलसिले में फीस के रूप में दिये गए थे
वैसे पीएफआइ और कपिल सिब्बल दोनों ने साफ कर दिया है कि ये पैसे हदिया केस के सिलसिले में फीस के रूप में दिये गए थे और इसका सीएए के खिलाफ ताजा विरोध प्रदर्शनों से कोई लेना-देना नहीं है। वहीं इंदिरा जयसिंह ने पीएफआइ से किसी तरह से धन लेने से साफ इनकार दिया है। पीएफआइ ने ईडी की अनाधिकारिक रूप लीक की गई रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि पीएफआइ कश्मीर नाम की उसकी कोई इकाई है ही नहीं।
अनुज मिश्रा