प्रिया सिन्हा,
बिहार के भोजपुर के जगदीशपुर क्षेत्र स्थित देवटोला गांव में मातम सा परसा हुआ है… दरअसल, जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर के पास हुई मुठभेड़ में तीन आतंकियों को मारने के बाद बिहार के रमेश शहीद हो गए थे। शहीद रमेश का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव भोजपुर के जगदीशपुर क्षेत्र स्थित देवटोला गांव जब पहुंचा तब शहादत की खबर सुनते ही रमेश के घर जन सैलाब उमड़ पड़ा। ऐसे में हजारों लोग परिजनों को सांत्वना देने पहुंचे। गांव में जैसे कोहराम सा ही मच गया। लोगों ने नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दी और शहादत को नमन भी किया। दर्शन और श्रद्धांजलि देने के लिए गांव का हर सदस्य अपने घर से निकलकर बाहर आया। क्षेत्र के लोग काफी गमगीन हैं वहीं, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो रखा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी गहरी संवेदना जारी की है।
सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रमेश की शहादत को नमन करते हुए बताया कि हिजबुल, लश्कर और जेकेआईएस के तीनों आतंकियों को मार गिराने में रमेश रंजन ने अहम भूमिका निभाई है। सिर में गोली लगने के बाद भी रमेश अंतिम सांस तक आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देते रहे। उनके इसी जज्बे से आतंकियों के मंसूबे नाकाम हुए। शहीद रमेश सीआरपीएफ की 73वीं बटालियन में तैनात थे। उनके पिता राधामोहन सिंह बिहार पुलिस से सेवानिवृत्त हैं। वर्ष 2011 में रमेश की पहली पोस्टिंग ओडिशा में हुई थी। शहीद रमेश के पिता राधामोहन ने बताया कि वह चार भाइयों में सबसे छोटे थे। रमेश की शादी वर्ष 2016 में बड़हरा के गुंडी-सरैंया निवासी विजय राय की बेटी बेबी राय से हुई थी। अभी उनकी कोई संतान नहीं है।
बताते चलें कि शहीद के पिता राधामोहन सिंह रमेश ने अपने बेटे से अंतिम बात का जिक्र करते हुए बताया कि मंगलवार को शाम करीब सात बजे उनकी फोन पर बेटे से बात हुई थी। बात करते समय उन्हें यह अंदाजा नहीं था कि यह उनकी अंतिम बात हो रही है। शहादत के बाद ही गांव में सन्नाटा पसर गया है। वहीं, सीआरपीएफ ने भी ट्वीट कर रमेश की शहादत को नमन किया है और शहीद रमेश के परिजनों को सांत्वना दी है।