पटना, २२ जनवरी। ब्रह्म–तेज़ प्राप्त करने वाले महान संत रविदास एक ऐसे महात्मा थे जिन्होंने यह सिद्ध किया कि ब्रह्म–तत्व को प्राप्त करना हर उस व्यक्ति के लिए संभव है, जो मन–प्राण से प्रभु का हो जाता है। इसके लिए किसी कुलीन वंश में उत्पन्न होना आवश्यक नहीं है। उन्होंने संसार को बताया कि ईश–साक्षात्कार एक अंत्यज्य भी प्राप्त कर सकता है। अखण्डित विश्वास, श्रद्धा और समर्पण से की गई साधना और भक्ति से अपने स्वयं के भीतर हीं स्थित परम चैतन्य को पाया जा सकता है। उन्होंने यह भी सिद्ध किया कि श्रेष्ठ गुणों से ही मनुष्य आदर पाता है। उनके ज्ञान और आध्यात्मिक शक्तियों ने अनेक राजे–रानियों को भी आकर्षित किया। महान संत कवयित्री मीरा बाई भी उनकी शिष्या थी। उन्होंने सभी प्रकार की संकीर्णताओं से ऊपर उठकर प्रेम पूर्वक मिलजुल कर रहने की शिक्षा दी।
यह बातें शनिवार को, पटेल नगर डी ए वी स्कूल में, प्रबुद्ध हिन्दू समाज, भारत विकास परिषद तथा विश्व हिन्दी सँवर्द्धन समिति के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित संत रविदास एवं स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती का उद्घाटन करते हुए, संस्था के मुख्य संरक्षक डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि संत रविदास भारत के अन्य ऋषियों की भाँति एक महान कवि भी थे और उन्होंने अनेक हृदय–ग्राही पदों का सृजन किया। उनके ४० पद गुरूग्रंथ साहिब में भी संकलित हैं। वे जीवात्मा और परमात्मा को ‘चंदन और पानी‘ की भाँति एक मानते थे।
उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती आधुनिक भारत में भारतीय वांगमय के सबसे प्रखर व्याख्याता थे। स्वामी जी ने वेदों का गहन अध्ययन हीं नही किया, अपितु उसकी सरल व्याख्या प्रस्तुत कर भारत के उस महान ज्ञान को संसार के लिए सुलभ किया, जिसमें जगत के सभी प्रश्नों के उत्तर और सभी समस्याओं का निदान है।
समारोह के मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि, संत रविदास ने मन की निर्मलता पर बल दिया। उनका कहना था कि मन यदि प्रसन्न है तो व्यक्ति हर अवस्था में आनंद प्राप्त कर सकता है। वे कहा करते थे कि ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा‘। संत रविदास और स्वामी दयानंद सरस्वती ने मनुष्यों को जीने की राह दिखाई।
प्रो जनार्दन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस संयुक्त जयंती समारोह में, पद्मश्री विमल कुमार जैन, डा दीपक शर्मा, विद्यालय के प्राचार्य डा वी एस ओझा, योगेन्द्र प्रसाद मिश्र, राज कुमार प्रेमी, मधुसूदन शर्मा, डा अवध बिहारी जिज्ञासु, जयंती सिंह, मधुलिका झा, विनोद कुमार गुप्त,रंजन कुमार मिश्र, संजय कुमार ठाकुर, सुरेंद्र कुमार राय अजय कुमार सिंह, कमलेश कुमार तथा वीरेंद्र कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अतिथियों का स्वागत संस्था के महासचिव आचार्य पाँचू राम ने तथा धन्यवाद–ज्ञापन डा मनोज कुमार ने किया। मंच का संचालन डा दिनेश कुमार देव ने किया।
कौशलेन्द्र पाण्डेय