पटना,
बिहार में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को 2010 के प्रारूप के साथ ही लागू करने को लेकर को विधानसभा में प्रस्ताव पास हो गया है व इसके साथ ही एनडीए शासित राज्यों में ऐसा करने वाला बिहार पहला राज्य भी बन गया है। यही नहीं, इसे लेकर सियासी गलियारों में कई तरह की चर्चाएं भी शुरु हो गई हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पास होने से पहले नीतीश कुमार ने राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ विधानसभा में बने मुख्यमंत्री कक्ष में मुलाकात की थी और यहां दोनों नेताओं के बीच करीब 20 मिनट तक बातचीत चली थी।
यूं तो दोनों के बीच क्या बातें हुईं, इसको लेकर किसी ने कभी खुलासा नहीं किया पर इस मुलाकात के थोड़ी देर बाद ही विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने सदन में एनपीआर और एनआरसी पर प्रस्ताव पास होने की घोषणा अवश्य कर दी।
बताते चलें कि इस प्रस्ताव के मुताबिक बिहार में एनआरसी की आवश्यकता बिल्कुल भी नहीं बताई गई है। साथ ही एनपीआर 2010 के प्रारूप के आधार पर लागू करने का सुझाव केंद्र सरकार को भेजने की बात भी कही गई है। वहीं, प्रस्ताव पास होने के बाद तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा कि – ‘बिहार में एनआरसी और एनपीआर लागू नहीं करने की हमारी मांग पर विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कराया गया। एनआरसी और एनपीआर पर एक इंच भी नहीं हिलने वाली भाजपा को हमने एक हजार किलोमीटर हिला दिया। भाजपा वाले माथा पकड़े टुकुर-टुकुर देखते रह गए। संविधान मानने वाले हम लोग सीएए भी लागू नहीं होने देंगे…’
वहीं, भाजपा विधायक मिथिलेश तिवारी ने बोला कि यह एक सुझाव था… मुख्यमंत्री ने पहले ही एक पत्र में केंद्र सरकार को बता दिया था। विधानसभा ने सर्वसम्मति से इस पर मुहर लगा दी। यह केंद्र पर निर्भर है कि उसे सुझाव स्वीकार करना है या नहीं। उन्होंने कहा कि यह केंद्र सरकार के खिलाफ प्रस्ताव नहीं था क्योंकि राज्य सरकार ऐसा नहीं कर सकती। यह सिर्फ एक सुझाव था।
कौशलेन्द्र पाण्डेय, संपादक