डॉ संजीव कुमार सिंह, शिक्षा संपादक, पटना.
माननीय मुख्यमंत्री जी ने आज विधान परिषद में जबाब दिया- ठीक है, हमारी संख्या 4 लाख है बिहार की जनसँख्या 12 करोड़ है लेकिन 12 करोड़ की शिक्षा की जिम्मेदारी भी हम 4 लाख पर ही है।इनको शिक्षा का मौलिक अधिकार हम दे रहे है। पढ़ने का अवसर आप देते होंगे लेकिन पढाते हम ही है।आप करोड़ो का बिल्डिंग बना सकते हैं पर शिक्षा हम हीं देंगे। आप के मन मे खोट है आप के भारी वेतनधारी और आपके अनुसार योग्य पदाधिकारी 5 साल में 8-10 पन्ने का सेवा शर्त्त नही बना सके। आप गलत तो करते ही है आपने केंद्र सरकार के आदेश का अनुपालन कर शिक्षा विभाग के ही राज्य परियोजना परिषद के संविदा कर्मियों को 180 दिन मातृत्व अवकाश दे दिया, ईपीएफ का लाभ दे दिया, अर्जितावकाश दे दिया मगर हमारी शिक्षकाओं को अभी 135 दिन का मातृत्व अवकाश दे रहे है,ईपीएफ के लाभ के लिए हमे कोर्ट जाने पड़ा, अर्जितावकाश पर कुंडली मार कर बैठे है। आपके मन मे काला तो है हीं आपकी सोच भी गलत है। हम तो हाई कोर्ट में जीत गए थे, आप हमारे विरोध में सुप्रीम कोर्ट गए। आपके पास तो महान्यायवादी थे, हमारे पास तो अपना वकील रखने के सिवाय कोई चारा ही नही था, इसलिए बचाव में चंदा जोड़कर वकील रखा, लेकिन फिर आपने क्यों जनता के पैसे से महंगा निजी वकील रखा। आपने तो हमारा बुरा करने के लिए हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दिया। अगर आपमे अंश भर भी मानवता होती तो आप सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन कर समान प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्णता प्राप्त शिक्षकों को 2019 में ही आदेशित वेतन वृद्धि प्रदान कर दिए होते। मगर आप तो तानाशाह है आप किसी की बात तो नहीं मानेंगे, हमारी छवि तो आप ही यह कह कर खराब कर रहे है कि ये नियोजित शिक्षक हैं। 2007-08 में जिसने जो कहा, लेकिन जिस व्यवस्था से हम आये है उसे तो आपने ही लागू किया था। क्यों आपने शिक्षक संवर्ग को मृत संवर्ग में डाल दिया। क्यों नही लोक सेवा आयोग से भर्ती जारी रखते हुए उसी समय हमें मौका दिया कि आप लोग भी परीक्षा देकर शिक्षक संवर्ग में आ जाईये। आपके मन मे खोट था, आप बिहार के लोगो को मानसिक गुलाम बना कर, शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त कर एक छत्र राज करना चाहते थे। हम बच्चों के अहित में कुछ नही करते अगर आप हमें चुनौती नही देते और हमसे सौतिया डाह नही रखते। मैट्रिक की परीक्षा हमने सम्पन्न कर दी है। शिक्षक दिवस की बात करते हुए आपको शर्म आनी चाहिए आपने शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षकों पर लाठी चलवाया, वाटर कैनन का प्रयोग किया, जेल भिजवाए,याद है ना 5 सितंबर 2019। आप सड़क, बिजली, नल का जल सब करवाईये मगर हमारे हिस्से की राशि को काट कर फंड डाइवर्सिटी मत कीजिये। शिक्षक जब निश्चिंत और सुरक्षित हो कर बच्चों को शिक्षा देगा न तो वही बच्चा सब व्यवस्था ठीक कर देगा। हमारे नाम पर केंद्र सरकार से जिला संवर्ग के समानुपातिक वेतन की राशि का 75 प्रतिशत की राशि प्राप्त कर हमें न्यून वेतन राशि देकर आप उसी हमारे पैसे से वोट खरीदते हैं और कहते हैं कि सब आप हीं को दे दिया जाय। आपने पहले पोशाक छात्रवृति और पुस्तक के लिए 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य किये थे लेकिन 2015 के चुनाव में आपने सभी नामांकित बच्चों को पोशाक छात्रवृत्ति और पुस्तक की राशि दे दी, क्योंकि चुनाव था और फिर चुनाव बीतने के बाद 2016 से 75 प्रतिशत उपस्थिति का शर्त्त लगा दिया। क्या यही आपका हमारे बच्चों के प्रति न्याय है। आपने हमें 1500 से 30000 तक पहुंचाया है तो जरा अपने वेतन पर भी गौर कीजियेगा, अपना वेतन कितना बढ़ाया है। महंगाई की स्थिति, मुद्रा स्फीति की दर को भी देखिएगा। और आंख खोल कर जरा आंकड़ो को फिर देखिए हमने ही 12 प्रतिशत विद्यालय से बाहर के बच्चों को विद्यालय में लाया है। हम जिन बच्चों को पढ़ाते है वे गरीब, अभिवंचित वर्ग और असहाय वर्ग के बच्चे है ये हमे भी प्यारे हैं, इनके लिए ही तो हम सब कर रहे है कि सरकारी विद्यालय में भी उच्च योग्यताधारी शिक्षक आने को तैयार हों नही तो सभी क्रीम विद्वान दूसरे क्षेत्रों में चले जायेंगे और शिक्षा पर निजी क्षेत्र का आधिपत्य हो जाएगा। गरीब के बच्चे न फीस भर पाएंगे, न अच्छे शिक्षक सरकारी स्कूलों में आ पाएंगे। वोट भाट की बात हम भी समझते हैं 4 लाख संख्या आपको कम लग रहा है एक नियोजित शिक्षक कम से कम 10 वोट डाइवर्ट कर सकता है और जीत के लिए विधान सभा चुनाव में 40 लाख वोटर आपके पिछले चुनाव के कुल वोटर 6682668 में से 60 प्रतिशत अर्थात 40100000 लोगो ने वोट कास्ट किया, जिसमे 16.8 अर्थात 6800000 आपको मिले थे, अगर इनमे से 4000000 आपके विरोध में हों तो परिणाम आप स्वयं सोच लीजियेगा। रही बात पंचायतों के माध्यम से बहाली की तो नियमावली आपकी बनायी हुई है पंचायत ने नियमावली नहीं बनायी है, नियंत्रण आपका है पंचायत को अपने रबर स्टाम्प बना कर रखा है, जिस खाते से पंचायत वेतन भुगतान करती है उसका खाता संख्या तक आपने पंचायत को नहीं बताया है, न पासबुक न चेकबुक कुछ भी नहीं दिया है पँचायत को। सब पर कुंडली मार के बैठे है। अगर विपक्ष नियोजित शिक्षकों की सहानुभूति पाने मे सफ़ल हो गया तो आपका पोलिंग परसेंट आपका जमानत जब्त कर देगा। वैसे हम क्या कहें आप हैं कि तरह हम भी आपके लाख विरोध के बाद भी चाहते है कि आप सत्य से रूबरू होना जाएं कि हम आपके है अगर आपको अहंकार हुआ तो तो नुकसान हमारा और आपका दोनों का होगा और आप विपक्ष के नेता लायक भी नही रहेंगे, जो हमारे लिए दुखद होगा। आज सत्ता का नशा चढ़ा हुआ है तो दिखता नही की चार साल में कुर्सी बचाने के के लिए आपकी चार बार सरकार बन चुकी है मगर अब 2020 में नियोजित शिक्षक का समर्थन नही मिला तो सचमुच मिट्टी में मिल जाएंगे मगर भाजपा से नही मिलेंगे वाला वक्तव्य चरितार्थ हो कर आपका राजनैतिक वध हो जाएगा। आप चाह कर भी राष्ट्रनिर्माता नही हो सकते और शिक्षक जब चाहे आपको सत्ताच्युत कर देंगे लेकिन हम नही चाहते कि आप जैसा योग्य मुख्यमंत्री पदच्युत हो। हम अंतिम समय तक आपके सहमति का इंतजार करेंगे और जब आपकी निरंकुशता हमारी आत्मा को अपने पैरों तले कुचलने के सिवाय भ्रम वश हमे चुनौती देगी तो हम भी तैयार है कि हम टूट जाएंगे, लेकिन निरंकुश तानाशाह का राजनैतिक वध भी करने को मजबूर होंगे।
अंत मे यही कहना है पिता और राजा अपने सन्तान या प्रजा का बुरा चाहने लगे तो क्रांति होती है। 17 साल में हम भी समझदार हो गए है, विपक्ष में रहते हुये सुशील मोदी का वक्तब्य और आज सत्ता में रह कर कार्य कलाप सब समझ गए है, अगर आप हमारे हैं तो हम भी आपके हैं मगर चुनौती देंगे तो हम गर्दन कटा देंगे मगर झुकेंगे नहीं जो भी होगा ईंट से ईंट बजा देंगे। आ जाईये हमारे साथ और ले लीजिए हमारा समर्थंन, हम तो समर्थक हैं आपके आप क्यों हमारे दुश्मन बने है.