बिहार चुनाव जैसे जैसे पास आ रहा है यहां राजनीति का खेल ज्यादा ही गरमाते चले जा रहा है। नीतीश सरकार ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राज्य में सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए 90 फीसदी आरक्षण की मांग को खारिज कर दिया है। वहीं, बिहार सरकार ने यह बात साफ कह दी है कि सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में स्थानीय लोगों के लिए 90 प्रतिशत आरक्षण की आवश्यकता बिल्कुल भी नहीं है।
दूसरी ओर, बिहार विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर जवाब देते हुए मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि 50 प्रतिशत सीटें एससी, एसटी, ओबीसी, ईबीसी और पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित हैं, जबकि 10 प्रतिशत सीटें आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं।
इस प्रकार, बिहार आरक्षण अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार 60 प्रतिशत सीटें स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित हैं, मंत्री ने आगे कहा कि शेष सभी उम्मीदवारों के लिए खुला है, जिसमें बिहार और अन्य सभी राज्यों के उम्मीदवार प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कड़ी शब्दों मं् कहा कि, “स्थानीय लोगों के लिए 90 प्रतिशत तक आरक्षण देने की कोई आवश्यकता नहीं है.”
यही नहीं, मंत्री के जवाब को खारिज करते हुए, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने पड़ोसी राज्य झारखंड सहित कई राज्यों के उदाहरणों का हवाला दिया, जिन्होंने अपने लोगों के लिए आरक्षण को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए एक डोमिसाइल नीति तैयार की है। गौरतलब है कि बिहार के 50 प्रतिशत लोग रोजगार के अवसरों के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं, तेजस्वी ने एक अधिवास यानी डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग की क्योंकि इससे राज्य को पलायन रोकने में मदद मिलेगी।
कौशलेन्द्र पाण्डेय, संपादक