अनुज मिश्रा, दिल्ली
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली का तापमान लगभग 25 डिग्री के आसपास होने के कारन यहां गर्मी का एहसास होने लगा था । लोगो ने अपने अपने रजाई और जैकेट पैक करने शुरू कर दिए थे । लेकिन पिछले 2-3 दिनों से लगातार हो रही तेज और धीमी बारिश ने जन जीवन को काफ़ी परेशान कर रखा है । लोगो को एक बार फिर से रजाई और जैकेट निकालने पे मजबूर कर दिया है । सुबह और शाम को होने वाली बारिश के कारन लोगो को ऑफीस पहुचने में भी काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है । एक तरफ लोग जहा पहले से ही कोरोना वाइरस से काफ़ी डरे हुए है वही इस बारिश के कारन मौसम में हो रहें सर्द और गर्म बदलाव लोगों को वाइरल, कफ, सर्दी, जुकाम और बुखार के होने वाले खतरे से सब काफ़ी चिंतित हों रहें है ।
इस बारिश का मुख्य कारन पश्चिमी विक्षोभ है । जिसे वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के नाम से भी जाना जाता है। पश्चिमी विक्षोभ भूमध्यरेखा-क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली वह बाह्य- उष्णकटिबंधीय आंधी है जो ठंड के मौसम में भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर भागों में अकस्मात् बरसात ले आती है। यह बरसात मानसून की बरसात से भिन्न होती है। बाह्य-उष्णकटिबंधीय आंधियाँ विश्व में सब जगह होती हैं। इनमें आर्द्रता सामान्यतः ऊपरी वायुमंडल तक पहुँच जाती है जबकि उष्णकटिबंधीय आँधियों में आर्द्रता निचले वायुमंडल में बनी रहती है। भारतीय महाद्वीप में जब ऐसी आंधी हिमालय तक जा पहुंचती है तो आर्द्रता कभी-कभी बरसात के रूप में बदल जाती है। यह बारिश प्रायः फसलों के लिए अच्छी मानी जाती है बशर्ते ये सही समय पर और सही मात्रा में हों लेकिन अभी जब की गेंहूँ की फसल कटने में अब कुछ दिन ही बचे है ज्यादा मात्रा में अगर बारिश हुई तो ये फसलों के लिए नुकसानदायक हों सकती है । एक तो महँगाई और फसलों के सही कीमत ना मिल पाने से किसान पहले ही परेशान है अगर उपर वाले ने भी मौसम का वार कर दिया तो अन्न दाता किसके भरोसे जीवन यापन करेंगे क्युकि सरकार को इनकी याद तो सिर्फ चुनाव के समय ही आती है और इस फसल के सीजन में तो कही चुनाव भी नही है ।