पटना, ७ मार्च। भारत की सबसे बड़ी पूँजी देश की युवा शक्ति है। यदि इनकी प्रतिभा और श्रम का सदुपयोग शतप्रतिशत किया जा सके तो भारत को विश्व के समृद्धतम राष्ट्र होने से कोई नही रोक सकता। यह हमारा दुर्भाग्य है कि हमारी शिक्षा–प्रणाली देश के युवाओं को बेरोज़गार बना रही है। शिक्षा की हमारी प्राचीन पद्धति, कृषि–प्रधान देश भारत के लिए सर्वथा उपयुक्त थी। हमें हाथों में हूनर देनेवाली और सच्चा ज्ञान देने वाली शिक्षा पर बल देना चाहिए।
यह बातें शनिवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, डा राजेंद्र प्रसाद कला एवं युवा विकास समिति के तत्त्वावधान में आयोजित वार्षिकोत्सव एवं सम्मान समारोह का उद्घाटन करते हुए, प्रदेश के सहकारिता मंत्री राणा रणधीर ने कही। उन्होंने कहा कि समाज के गुणी जनों और विद्वानों का, विशेष कर मातृ–शक्ति का सम्मान श्रद्धापूर्वक किया जाना चाहिए। अपनी स्थापना के वार्षिकोत्सव पर विदुषियों और विद्वानों का सम्मान कर बड़ा हीं प्रशंसनीय कार्य किया गया है।
सभा की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन के अध्यक्ष तथा संस्था के प्रथम अभिभावक डा अनिल सुलभ ने कहा कि, विगत पाँच वर्षों में इस संस्था ने कला, संगीत और साहित्य के साथ युवा–शक्ति को रचनात्मकता से जोड़ने के लिए, अत्यंत महत्त्वपूर्ण कार्य किए हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने गौरवशाली संस्कृति को स्मरण रखते हुए, देश के सर्वांगीण विकास में योगदान के लिए युवाओं को प्रेरित करना चाहिए। भारत अपने विचारों और ज्ञान के बल पर विश्व का आचार्य था, क्योंकि इसका दर्शन मानवतावादी है, जिसमें संपूर्ण विश्व का कल्याण निहित है।
सुप्रसिद्ध विदुषी डा भूपेन्द्र कलसी, डा कल्याणी कुसुम सिंह, आचार्य वेंकटेश शर्मा, अब्दुल रहमान मदनी तथा योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने भी अपने विचार व्यक्त किए। आरंभ में अतिथियों का स्वागत संस्था के अध्यक्ष नेहाल कुमार सिंह ‘निर्मल‘ ने किया। मंच का संचालन डा सागरिका राय तथा धन्यवाद ज्ञापन डा सुलक्ष्मी कुमारी ने किया।
इस अवसर पर सुप्रसिद्ध गायक गीतकार भरत सिंह ‘भारती‘ को इस वर्ष का डा राजे न्द्र प्रसाद कौस्तुभ मणि‘ सम्मान से विभूषित किया गया। इनके अतिरिक्त डा जनक मणि को साहित्य–मार्तण्ड, शक्ति प्रिया को ‘शिक्षा सेवा सम्मान, डा अवदेश कुमार को ‘शिक्षा–मार्तण्ड‘, डा अंशु पाठक को ‘कला–मार्तण्ड‘, दीपक दक्ष को ‘पत्रकारिता सेवा सम्मान‘ सनत कुमार को ‘रंग–मार्तण्ड‘, डा मुकेश कुमार ओझा को ‘साहित्य सेवा सम्मान‘, तथा ओम् प्रकाश को ‘कला सेवा सम्मान‘ से विभूषित किया गया।
समारोह का आरंभ विष्णु प्रभाकर द्वारा वैदिक–मंगलाचरण तथा कवयित्री चंदा मिश्र द्वारा की गई वाणी–वंदना से हुआ। इस अवसर डा दिवाकर तेजस्वी, पूनम आनंद, अनुपमा नाथ, डा शालिनी पाण्डेय, शुभ चंद्र सिन्हा, शशि भूषण कुमार, संजू शरण, डा अर्चना सिन्हा, डा नीतू सिंह तथा डा वीणा बेनीपुरी समेत संस्था के पदाधिकारी एवं बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
कौशलेन्द्र पाण्डेय