पटना, २४ मार्च । बहुआयामी सारस्वत व्यक्तित्व के धनी थे डा शैलेंद्र नाथ श्रीवास्तव। वे एक महान शिक्षाविद, समर्थ साहित्यकार, लोकप्रिय राजनेता, कला–संस्कृति के महान पोषक एवं अनेक मानवीय गुणों से युक्त साधु–पुरुष थे। ज्ञान–प्रभा से दीप्त उनका मुख–मण्डल सदैव स्निग्ध मुस्कान से खिला रहता था, जो सहज हीं सबको आकर्षित करता था। वे, आज की बेलगाम और दूषित होती जा रही राजनीति में एक सुदृढ़ साहित्यिक हस्तक्षेप थे।
यह बातें, शुक्रवार को, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती–समारोह और संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि, शैलेंद्र जी यह मानते थे कि, देश की राजनीति को शुद्ध किए विना कुछ भी अच्छा नहीं किया जा सकता है। सार्वजनिक–सेवा के सभी पदों पर, गुणी और विवेक–संपन्न व्यक्तियों का चयन होना चाहिए। अयोग्य और निष्ठा–हीन व्यक्तियों के हाथ में अधिकार जाने से समाज का बड़ा अहित होता है। इसके लिए वे संस्कार प्रदान करने वाली और चरित्रवान बनाने वाली शिक्षा के पक्षधर थे। इसीलिए वे एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक संस्था ‘संस्कार भारती‘ के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में संपूर्ण भारत वर्ष में, नयी पीढ़ी को जगाते रहे और उनमें चरित्र और संस्कार के बीज बोते रहे।
डा सुलभ ने कहा कि, उनके सुंदर और प्रभावशाली व्यक्तित्व के समान हीं उनकी वाणी, व्यवहार और व्याख्यान–कौशल भी मोहक थे। वे अपने मृदु और सरल व्यवहार से सरलता से सबको अपना बना लेते थे। इन्हीं सदगुणों के कारण उन्हें भारत सरकार ने पद्म–अलंकरण से विभूषित किया। अनेक प्रकार की व्यस्तताओं के बीच भी उन्होंने लेखन के लिए समय निकाला और अपनी दर्जन भर प्रकाशित पुस्तकों से हिंदी का भंडार भरा। वे एक अधिकारी निबंधकार, कवि और जीवनीकार थे। उनके साहित्य पर लिखते हुए महान साहित्यसेवी प्रभाकर माचवे ने कहा था कि, “शैलेंद्र जी नौ रसों के हीं नहीं, दसवें रस, ‘व्यर्थ–रस‘ के भी समर्थ साहित्यकार हैं, जो व्यर्थ के संदर्भों को भी रसमय बना देते हैं।“
इस अवसर पर विधायक अरुण कुमार सिन्हा, शैलेंद्र जी के पुत्र पारिजात सौरभ, अभिजीत कश्यप, पूर्व विधायक जनार्दन शर्मा, डा श्रीधर कुमार, कृष्ण रंजन सिंह, श्रीकांत व्यास, जय प्रकाश पुजारी, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, बाँके बिहारी साव, राजा राम पाण्डेय, रूपेश रंजन सिन्हा, कमलजीत खन्ना, पुरुषोत्तम कुमार, अजय निषाद, प्रत्युष नंदन, उषा श्रीवास्तव, आनंदिता बनर्जी आदि ने भी चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।
कौशलेन्द्र पाण्डेय