कौशलेन्द्र पाण्डेय, संवाददाता.
प्रत्येक जन्म लेने वाला, एक न एक दिन मृत्यु को प्राप्त होता है! किसी किसी की मृत्यु भी आदरणीय हो जाती है तो किसी की घृणास्पद भी! ‘करोना’ की मौत , ‘कुत्ते की मौत’ की तरह है! शव-यात्रा के लिए तो क्या ‘कंधा देने’ के लिए भी चार लोग नही मिलेंगे! संभव है ‘आग देने वाला’ भी निकट आने से डरे ! इसलिए कोरोना से बचे ! आसान है ! अगले कुछ दिनों में सबसे अलग रहें! घर से कभी न निकले ! क्योंकि आप को मालूम नही कि कौन ‘कोरोना’ से ग्रस्त है और कहाँ-कहाँ ‘कोरोना’ जा वायरस गिरा पड़ा है! बचिए और संसार को बचाइए ! जब मानव-शरीर कोरोना को नहीं मिलेगा तो वे सबके सब स्वयं मर जाएँगे ! संसार इस त्रासदी से बच जाएगा! कृपया इस विचार को सर्वत्र फैलाएँ: डा अनिल सुलभ