पुष्कर पराग,
पूरा भारत लॉकडाउन में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपील कि वो घरों के बाहर लक्ष्मण रेखा खींच लें। उन्होंने कहा कोरोना रोकने के लिए जो जहां है वो वहीं थम जाए लेकिन लाखों मजदूर, अपने घरों से दूर फंसे रह गए हैं जहां इनके लिए खाने और रहने का भी इंतजाम नहीं है। कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 मार्च को एक दिन का जनता कर्फ्यू का आह्वान किया था। जिसके बाद काफी मजदूर अपने प्रदेशों को लौटने लगे, लेकिन पहले ट्रेन और बस सेवा बंद हुई और 24 तारीख को लॉकडाउन पूरे देश में लागू हो गया।
लॉकडाउन के चलते दूसरे राज्यों में काम कर रहे दिहाड़ी मजदूरों के सामने संकट खड़ा हो गया है। इन मजदूरों के पास काम नहीं है। ट्रेन और बस समेत सभी परिवहन सेवाएं बंद होने के बाद अब घर वापसी का भी कोई विकल्प नहीं बचा है, वहीं बंदी की वजह से खाने-पीने और रहने के लिए वे दूसरों पर निर्भर हैं।
मंगलवार और बुधवार को तमिलनाडु, दिल्ली और बंगाल से कुछ एक श्रमिकों का श्रम विभाग के दफ्तराें में फोन आया था। जिसके बाद श्रम अधिकारियों ने पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के लेबर कमिश्नर से बात कर उनके खाने-पीने और सुरक्षा के संबंध में आग्रह किया है। श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि विभाग गुरुवार को टाल फ्री नंबर जारी करेगा। जिससे कोई भी बाहर फसा व्यक्ति विभाग से मदद मांग सकेगा।