पुष्कर पराग, गोरखपुर के कारखाने में मजदूरी करने वाले इन युवकों को मंगलवार को ही मालिक ने घर जाने को कह दिया था. इसके बाद इन बिहारी मजदूरों के पास गोरखपुर में न तो रहने की जगह थी और न खाने का इंतजाम. ऐसे में इनके पास घर लौटना ही अंतिम रास्ता था. लेकिन इंडिया लॉक डाउन है. घर आने के लिए न तो ट्रेन है न ही कोई अन्य सुविधा. तो इन सभी ने ठान लिया कि घर पैदल ही जाएंगे. उन्होंने गोरखपुर से बगहा जाने वाली रेल पटरी को पकड़ कर पैदल चलना शुरू कर दिया. मंगलवार की सुबह उन्होंने चलना शुरू कर दिया. 110 किलोमीटर की दूरी तय कर वे बुधवार की सुबह बगहा पहुंचे.
पांचों युवक का घर चनपटिया में है जिसकी दूरी बगहा से करीब 60 किलोमीटर है. उन्हें उम्मीद थी कि बगहा से चनपटिया के लिए कोई गाड़ी मिल जाएगी. लेकिन जब वे बगहा पहुंचे तो वहां भी किसी गाडी का परिचालन नहीं हो रहा था. लिहाजा वे बगहा से भी पैदल ही चनपटिया के लिए रवाना हो गए. बुधवार की सुबह बगहा पहुंचने के बाद प्रशासन ने उन्हें अस्ताल भेज दिया. बगहा अनुमंडल अस्पताल में प्रारंभिक जांच में उनमें कोरोना के लक्षण नहीं मिले. इसके बाद प्रशासन ने उन्हें 14 दिनों तक घर से बाहर नहीं निकलने की हिदायत देकर घर जाने की इज़ाजत दे दी.