३० मार्च। सूर्योंपासना का अत्यंत महनीय पर्व सूर्य–सष्टि व्रत, जिसे लोक–आस्था का दिव्य महापर्व भी माना जाता है, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ के घर भी मनाया जाता है। उनकी धर्म–पारायण पत्नी किरण झा, वर्षों से यह पर्व करती आ रही हैं। ‘कोरोना‘ के कारण सबसे स्वयं को अलग–थलग रखने के महान अभियान को ध्यान में रखते हुए, यहाँ भी बिलकुल सादे समारोह में,अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य दिया गया। पिछले वर्षों में जब उनके अनेक परिजन इस महापर्व में हिस्सा लेते थे, आज गिनती के लोग, केवल परिवार के सदस्य ही इसमें सम्मिलित हो पाए। तीनों पुत्र आकाश, आभास और अहसास, दोनों पुत्र–वधुएँ मेनका और आकाश तथा पौत्र उत्तर उत्तरायण और कीर्त्यादित्य के अतिरिक्त घर में कार्यरत सेवी–जन, सबने अर्घ्य–दान में हिस्सा लिया।
डा सुलभ ने इस अवसर पर सभी व्रतियों को प्रणाम करते हुए, जीवन और आरोग्य प्रदान करने वाले भगवान भास्कर से प्रार्थना की कि विश्व की इस अभूतपूर्व महामारी से, जिसके मुँह की परिधि में आज संपूर्ण संसार आ गया है, मानव–समुदाय की रक्षा करें। ‘कोरोना‘ जैसे सभी घातक परजीवियों से मनुष्यों की रक्षा हो। संपूर्ण वसुधा एक होकर, मानव–जाति के सौख्य और उन्नति के लिए महान उद्योग करे, जिससे एक नूतन दृष्टि से युक्त एक नए विश्व का निर्माण हो सके।
कौशलेन्द्र पाण्डेय,