युगप्रवर्तक, युगद्रष्टा है स्वामी रामदेव: डॉ नितेश
पतंजलि योगपीठ और भारत स्वाभिमान ट्रस्ट से जुड़े डॉ नितेश से हुई रामनवमी और स्वामी रामदेव के संन्यास दिक्छा दिवस के शुभ अवसर पर हुई बातचीत
बाबा रामदेव विश्वप्रसिद्ध भारतीय योग-गुरु हैं जिनके लिए जनकल्याण धर्म से बड़ा है। उनके विचार अंधविश्वासी रूप से धार्मिक न होकर आधुनिक, तार्किक, व्यावहारिक, वैज्ञानिक और वास्तविकता से जुड़े हुए हैं।
योग को लोकप्रिय संस्करण के रूप में जनता के बीच लाने वाले बाबा रामदेव के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण बात ये है कि देश और समाज का कल्याण मज़हब से ज़्यादा ज़रूरी है। उनके सामाजिक सरोकारों की सीमा उन्हें वर्तमान के कई सन्न्यासियों से अलग पहचान देती है।
बाबा रामदेव राष्ट्रवादी संन्यासी है। अपने देश और संस्कृति के प्रति उनका अगाध प्रेम है। वे देश को सांस्कृतिक और आर्थिक विश्वशक्ति बनाना चाहते हैं। बाबा रामदेव राष्ट्रीय और सांस्कृतिक मुद्दों पर अक्सर अपने विचार प्रकट करते रहते हैं। राष्ट्रहित और सामाजिक सरोकारों वाले विषयों पर वे खुलकर बोलते हैं।
प्रशंसा की बात यह है कि इसके लिए रामदेव संविधान के तहत कार्य करने में यक़ीन रखते हैं। संविधान के प्रति उनकी ये आस्था और सम्मान सराहनीय है। रामदेव का सन्न्यास समाज से पलायन कर निजी मोक्ष के लिए नहीं है, बल्कि वे समाज में रहकर उसे सही दिशा देना चाहते हैं।
सदियों पुराने योग के प्रचार-प्रसार में उनका प्रयास भी सराहनीय है। इसके पीछे उनका मक़सद धर्म से अधिक आम इंसान को शारीरिक और मानसिक से छुटकारा दिलाना है। इसी बात ने बड़ी संख्या में लोगों को उनकी ओर आकर्षित किया! इन्ही बातो को रखते हुए मैं युवाओं से अनुरोध करूँगा की स्वामी रामदेव के मार्गदर्शन में अपने राष्ट्र के प्रति समपर्ण हो.