देश की पुलिस की छवि सुधरी मगर पटना पुलिस की नहीं
लॉकडाउन में देश के विभिन्न राज्यों की पुलिस की छवि काफी सुधरी है। कहीं गरीबों को पुलिस खाना खिला रही है ,कहीं लोगों को बैंड बजाकर कोरोना से लड़ने के लिए उत्साह जगा रही है। कहीं लोगों को फुल दिए जा रहे हैं तो कहीं अच्छे लोगों को पुलिस सम्मानित कर रही है। मुसीबतों में फंसे लोगों के बीच कई राज्यों की पुलिस देवदूत बन गयी है। मगर पटना पुसिल की छवि सुधरने के बजाए धूमिल होती जा रही है। वह भी चंद सिपाहियों व अफसरों के कारण। पटना पुलिस आलू व्यवसायी के पैर में गोली मारती है। मां की दवा लाने जा रहे ट्रैफिक सिपाही का सिर फोड़ती है। नगर निगम के सफाईकर्मियों को बेवजह पीटती है। अब तो पत्रकारों को भी निशाना बनाने लगी है। बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के महासचिव के नाते में ऐसी घटनाओं की घोर निंदा करता हूं। पत्रकारों को पीटने व बदसलूकी करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त से सख्त कारवाई की मांग करता हूं। बिहार पुलिस के आला अधिकाकारियों से आग्रह है कि वह इस विपदा की घड़ी में लोगों के साथ सहानभूमि व अपनेपन से पेश आए।
कौशलेन्द्र पाण्डेय, पोलिटिकल रिपोर्टर