जालियांवाला बाग के अंदर चल रहे निर्माण कार्य के कारण इसे 15 फरवरी से बंद किया गया था, लेकिन 13 अप्रैल को खोला जाना था। 20 करोड़ रुपये केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्रालय की देख-रेख में खर्च किए जा रहे हैं। 65 प्रतिशत काम पूरा हो चुका हैं। जलियांवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी वाले दिन हुआ था। रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए यहां एक सभा हो रही थी। अंग्रेज फौज के जनरल डायर ने फोर्स के साथ जालियांवाला बाग को घेर लिया। शांतिपूर्ण सभा कर रहे लोगों पर गोलियां चलवानी शुरू कर दीं। इसमें सैकड़ाें निर्दोष लोग माैके पर ही मारे गए। चारों ओर कोहराम और हाहाकार मच गया। पूरा बाग रक्त से सराबोर हो गया।आज भी जालियांवाला बाग में अंग्रेजों की दरिंदगी के निशान मौजूद हैं। जालियांवाला बाग की चारदीवारी पर गोलियों के निशान मौजूद हैं। नरसंहार के निशां देखकर आज भी लाेगों की आखें नम हो जाती हैं। जहा आज सभी देशवासि नमन कर रहे थे. प्रधानमंत्री मोदी ने जलियावाला बाग़ कांड मे शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित किए ।