पं छविनाथ पाण्डेय एक महान स्वतंत्रता सेनानी, तपोनिष्ठ दधीचि-तुल्य साहित्यकार, संपादक और एक ऐसे विशाल वट-वृक्ष थे, जिनकी छाँव तले वैसे साहित्यकारों को भी प्राण और नवजीवन मिले, जिनके हृदय उपवन निष्प्राण सूखे वृक्षों के वन बन गए थे! आज उनकी जयंती है। इस वर्ष हम उनकी जयंती सम्मेलन-सभागार में नही मना पा रहे हैं ! किंतु सहस्रों हृदयों में उनकी जयंती का उत्सव अवश्य हो रहा है। एक आलेख के रूप में हमने सम्मेलन की ओर से उस विनम्र त्यागमूर्ति और महान हिन्दीसेवी को, जिसे बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन-भवन के निर्माण का प्रमुख श्रेय जाता है, श्रद्धा-तर्पण दिया है, जो ‘आज’ के आज के अंक में प्रकाशित हुआ है! इस साहित्योत्सव पर आप सबके प्रति मंगलभाव सहित यह आलेख है :
कौशलेन्द्र पाण्डेय