अनुज मिश्रा /प्रधान संपादक.
“काम ज्यादा कम दिखावा” – नितीश कुमार का पुराना सिद्धांत है।पूरी दुनिया आज कोरोना वायरस के सदमे में है। चीन के वुहान शहर से निकल कर यूरोप होते हुए भारत पंहुचा है ये कोरोना । जब तक ये भारत में नहीं आया था तब तक हम भारतीय इसके बारे में ना ही तो जानते थे ना ही इसके बारे में जानना चाहते थे, अपनी तो फितरत ही है की जब झेलेंगे तब देख लेंगे। खैर एक इटली वाला आया और राजस्थान से दिल्ली होते हुए आगरा तक कोरोना रूपी शाप से शापित कर दिया। फिर क्या था जिस कोरोना को अभी तक हम टी वी पर देखते आय थे उसके दंश से सामना हो गया और ऐसा हुआ की आज तक सदमे में ही है। इस अनदेखे दुश्मन से जंग की आनन् फानन में तैयारी शुरु हुई, केंद्र से लेकर राज्य सरकारे सकते में आ गई। राज्यों के मुख्यमंत्री मीडिया में दिखने लगे। सरकार और उन के प्रतिनिधियों का प्रेस कांफ्रेंस शुरू हो गया। सभी सरकार में ये होड़ सी आ गई की कौन कितना चिंतित है, इसके लिए किसी ने अधिकारियो को कारण बताओ दे डाला तो किसी ने तबादला किया।
ऐसे में अपने देश का एक ऐसा राज्य जो भारत के पूर्व में स्थित है और जो दुनिया को पहला गणतंत्र देने के साथ कई सारे धर्मो का जन्मभूमि है वहां से राष्ट्र स्तर पर कोई भी शोर सुनाई नहीं दे रहा था। बिहार से बाहर तथा बिहार में रहने वाले बिहारी भी कहने लगे की बिहार के मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार न तो कही दिखाई दे रहे है और न ही सुनाई। लेकिन इनको कौन समझाय की जो बरसने वाला बादल होता है वो गरजता नहीं है, काम करने वा्ला काम मे ध्यान देता है ना कि ढोल बजा कर बताने मे ब्यस्त होता है कि देखो भाइ हम काम कर रहे है।अपने मुह मिया मिठु कभी ना बनने वाले नितिश कुमार ने एक बार फिर इस विनाशकारी विभीषिका के समय अपने स्तर पर कार्य शुरु करना ज्यादा उचित समझा बजाये इसके की मिडिया के सामने प्रेस कांफ्रेंस करने के। तैयारी का पूरा जायजा लेने के बाद तथा पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद ही वो मीडिया के सामने आये जो की एक प्रशाशक की सबसे बड़ी खूबी होती है,और फिर साडी जानकारी और सुचना जनता के साथ साझा कीया।
अगर कोई कोरोना को लेकर बिहार की तैयारियों के तरफ ध्यान दे तो प्रथम दृष्टया ऐसा ही लगेगा की कुछ हो ही नहीं रहा क्युकी विपक्ष ने बिहार के खिलाफ लोगो में सिर्फ गलत बात ही फैलाई हुई है और बिहार को बदनाम करने का पूरा कोशिश कर रखा है। लेकिन जब वो नितीश कुमार के कुशल प्रशाशन की गहराइयों में झांकेगा तब पता चलेगा की सच्चाई क्या है। बिहार में अभी तक मात्र 65 ही कोरोना के मामले आये है वो भी 25 तो एक ही परिवार से है जो विदेश से आये किसी के साथ में थे और कुछ ऐसे है जो दिल्ली के तब्लिकि जमात में शामिल थे या शामिल होने वाले के संपर्क में थे। अभी तक पुरे देश में जहा सिर्फ 2 लाख से कुछ ज्यादा ही जांच हो पाए है वही बिहार में लगभग 8 हजार लोगो की जांच की जा चुकी है जो की पुरे देश के सभी राज्यों एवं केंद्र शाषित प्रदेशो के औशत में कही भी कम नहीं है । जिस तरह हमारे संविधान में अच्छे प्रशासक के लिए विकेन्द्रीकरण की निति को अपनाया गया है ठीक उसी तरह से नितीश कुमार की सरकार ने इस जंग में भी पंचायती राज्य व्यवस्था को हथियार बनाया है और सारे गावों को सेनीटाईजेशन कराने की जिम्मेदारी पंचायत के मुखिया को देकर राज्य के हर एक जनता को इस जंग में शामिल कर लिया है जो की काबिले तारीफ है। लोग भी इस जिम्मेदारी को काफी अच्छे से समझ रहे है और इसका निर्वाह भी कर रहे है। गांव में बाहर से आने वालो को एंट्री नहीं दिया जा रहा और पहले वहां बने क्वारंटाइन सेंटर में रखा जा रहा है उसके बाद ही उनको अपने घर जाने दिया जा रहा है ।
मुख्यमंत्री राहत कोष से राहत पैकेज की बात हो, गरीबो के अकाउंट में पैसे भेजने की बात हो या लोगो को अनाज मुहैया कराने की बात हो, नितीश कुमार की सरकार हर तरह से अपने लोगो का ख्याल कर रही है। दिल्ली तथा अन्य राज्यों में फसे बिहारी लोगो के लिए हेल्प लाइन नंबर की सुचारु रूप से चलाने तथा उन लोगो तक राहत मुहैया कराने में भी नितीश सरकार पूरी तरह से बढ़ चढ़ कर लगी हुई है ताकि किसी को भी किसी भी तरह की कोई दिक्कत ना हो। जहा जहा जरुरत है वहां हॉट स्पॉट बना कर लॉक डाउन को पूरी तरह से सफल बनाने के लिए कड़े कदम उठाये जा रहे है, जरुरत के अनुसार लोगो को समझाने से लेकर कानून का सख्ती से पालन कराने तक का भी कार्य पूरी तरह से जोर शोर पर है ।लोगो के कोरोना टेस्ट को लेकर भी जो सवाल उठाय जा रहे है वो भी पूरी तरह से बेबुनियाद है, नितीश सरकार हर संभव कोशिश में लगी हुई है की ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पंहुचा जा सके। इसका एक उदहारण है पूर्वी चम्पारण जिला के जिला मुख्यालय से लगभग 50 किमी दूर स्थित पजिअरवा गांव जहा दो दिन पहले ही कुछ लोगो का स्क्रीनिंग किया गया तथा एक बुजुर्ग को हेल्थ टीम अपने साथ ले गई क्युकी टीम को उनके कोरोना पॉजिटिव होने का संदेह था हालाँकि बाद में बुजुर्ग का रिपोर्ट निगेटिव पाया गया उनको दमा की शिकायत थी। तो ऐसा नहीं है की इंजीनियर
नितीश कुमार की सरकार काम नहीं कर रही है हा वो अपने काम की पब्लिसिटी करने में जरूर पीछे दिख रही है जो आजकल के इस दौड़ में पिछड़ेपन की निशानी है और बिहार सरकार को इसमें कार्य करने की भी आवश्यकता है। दूसरे सरकारों की तरह मीडिया में छाई हुई नहीं है और नितीश कुमार का यही सिद्धांत भी रहा है की “काम ज्यादा कम दिखावा” और उसपे वो अभी तक सफल दिख रहे है।
इन सब को ध्यान में रखते हुए ऐसा लग रहा है की “कोरोना हारेगा – इंडिया जीतेगा” वाले इस मुहीम में बिहार पूरी तरह से कदम से कदम मिला कर चल रहा है। प्रधान मंत्री द्वारा 3 मई तक बढ़ाया गया लॉक डाउन का बिहार में पूरी तरह से पालन होगा इसमें कोई दुमत नहीं है। बिहार और बिहारी की छवि को हमेशा से सुधारने का काम करने वाले नितीश कुमार इस कोरोना के जंग में भी बिहार को फिर से एक नए उचाई तक ले जाने में सफल रहेंगे।