विकास कुमार सिंह /सब एडिटर.
स्कूल की फीस माफी की मांग v/s अभिभावक V/S स्टाफ़ वेतन, कोरोना संकट अभी समाप्त नहीं हुआ है- लॉकडाउन 0.2 (3 मई तक) के बाद भी भविष्य अभी अनिश्चित है… अभी स्कूलें वापिस कब खुलेंगी, कहा नहीं जा सकता। अभी किसी नतीज़े पर पहुंचना जल्दीबाजी होगी.
फिर भी थोड़ा ठहरें, इन बिंदुओं पर भी गहन विचार करें-
(1) क्या बैंकों ने ब्याज माफ कर दिया है? (किश्त /EMI और ब्याज 3 महीने टाल कर बैंक ब्याज पर भी ब्याज जोड़ कर ले रही है । EMI या ब्याज कुछ भी माफ नहीं किया गया है!!)। लगभग सभी स्कूलों ने लोन/ओवरड्राफ्ट सुविधाएं ले रखी हैं और बसें/वाहन तो सभी ने फाइनेंस पर या वार्षिक अनुबंध पर ही ले रखी हैं।
(2) बिजली, पानी टेलीफोन,अर्बन डेवलोपमेन्ट टैक्स, इंटरनेट, ESIC, PF, TDS, भवन व बसों पर इन्शुरन्स, डेप्रिसिएशन, रिपेयरिंग, मेंटेनेन्स, रोड टैक्स, बालवाहिनी परमिट रिनीवल, फिटनेस… आदि आदि किसी ने भी कुछ भी माफ किया है या करेंगे? हो सकता है बस कुछ समय दे दें।(3) स्कूल द्वारा फीस एक शिक्षा सत्र/एक पूरी क्लास /पूरा कोर्स /सिलेबस करवा कर परीक्षा सम्पन्न करवाकर परिणाम जारी करने तक के “सम्पूर्ण कार्य” की ली जाती है। इसे अभिभावकों की सुविधा के लिए 2 बार में, (6-6 माह से), या 4 बार में (3-3 माह से ) या हर महीने जमा करवाने की सुविधा परंपरागत रूप से दी जाती है। इसी को कुछ लोग अपने हित /सुविधासंतुलन में /स्वार्थवश मासिक रूप से बांट कर गणना करते हैं, व छुट्टीयों को अलग मान लेते हैं जबकि इनमें सत्र में आने वाली सभी छुट्टियाँ स्वतः सम्मिलित होती हैं। छुट्टियों की तनख्वाह या शुल्क कहीं किसी भी क्षेत्र में काटे जाने की कोई परंपरा / मांग नहीं है। आगामी वर्ष 2020-2021 में भी स्कूलों द्वारा पूरा सिलेबस/पूरा कार्य/ परीक्षाएं सम्पन्न करवाई जाकर परिणाम की घोषणा ससमय की जाएगी !! कमी किस चीज़ में हो रही है??? फिर फीस में छूट की मांग क्यों?(4) यदि कोरोना त्रासदी के कारण अभी अनायास छुट्टियाँ हो रही है तो भी स्कूलें खुलने के बाद, सुबह/शाम, रविवार, सार्वजनिक अवकाश के दिनों, दीपावली, क्रिसमस /शीतकालीन अवकाश आदि छुट्टियों में एक्स्ट्रा क्लास लगा कर पूरा कोर्स करवाकर परीक्षा के लिए विद्यार्थियों को तैयार करवाने की पूरी जिम्मेदारी निजी विद्यालय हमेशा की तरह इस बार भी लेंगे ही। एक्स्ट्रा क्लास में एक्स्ट्रा समय देकर एक्स्ट्रा परिश्रम करवाकर इन अवकाशों की क्षतिपूर्ति/भरपाई हमेशा की तरह कर दी जाएगी। जब काम/परिश्रम/परिणाम पूरा मिलेगा तो फिर फीस में कमी किस बात की?(5) विद्यार्थियों को छुट्टियों में डिजिटल/ ऑनलाइन तैयारी करवाना, समय का सदुपयोग करते हुए कुछ क्रिएटिव, सृजनात्मक /अभीरुचि के अनुरूप कार्य करवाना, उनको अभी और स्कूल खुलने के बाद मोटिवेटेड रखना, उनकी हर समस्या का समाधान करना उनको मनोवैज्ञानिक रूप से भटकने /अवसाद से रोकना आदि मातृवत/पितृवत सभी जिम्मेदारियाँ तो स्कूलें/टीचर्स निभाते ही हैं, हमेशा। फिर फीस में कटौती की बात क्यों?(6) जो अभिभावक सरकारी/अर्द्धसरकारी सेवा में हैं उनको पूरा वेतन मिलेगा ही (हो सकता है कुछ विलंब से/किश्तों में मिले) पर मिलेगा पूरा। फिर उनको फीस माफी की ज़रूरत कहाँ और क्यों है?
(7) जो अभिभावक निजी सेवा में हैं, वे देर सबेर ही सही पर क्या पूरा वेतन प्राप्त नहीं करेंगे ?? उनको फीस माफी क्यों?
(8) जो अभिभावक स्वयं का कारोबार करते हैं या व्यापारी या उद्यमी या पेशेवर/प्रोफेशनल/किसान/पशुपालक आदि हैं क्या वे लॉकडाउन समाप्त होने के बाद अपनी वस्तु या सेवा मुफ्त में दे देंगे? फिर स्कूल फीस में माफी की मांग क्यों.
(9) स्कूल में कार्यरत टीचिंग, नॉन टीचिंग, सपोर्ट स्टॉफ, ड्राइवर्स, वार्डन्स इन सबको क्या इन छुट्टियों का वेतन नहीं मिलना चाहिए? या ये सब मुफ्त में काम करें?? अभिभावक यदि पूरी निर्धारित फीस नहीं देंगे तो स्टॉफ को वेतन कैसे दिया जा सकेगा??(10) जिस तरह से निजी स्कूलों से फीस माफ करने की बात उठाई जा रही है क्या वैसे ही कॉलेज, यूनिवर्सिटी, प्रोफेशनल और टेक्निकल कोर्स मेडिकल/इंजिनीरिंग/मैनेजमेंट/लॉ आदि करवाने वाले सभी उच्च शिक्षण संस्थान और उनमें प्रवेश के लिए तैयारी/कोचिंग करवाने वाले कोचिंग संस्थान भी फीस माफ करेंगे?(11) क्या राज्य सरकार निजी स्कूलों का RTE का बकाया पैसा तुरंत देकर उनको राज्य/केंद्र सरकार/बैंक 3 महीने का अनुदान या ब्याज मुक्त 3 वर्षों का कर्ज़ देने के लिए तैयार हैं??तटस्थ सोचें, वाजिब सोचें, निजी विद्यालयों के पास गड़ा हुआ धन या कुबेर का खजाना नहीं है।दुनिया का कोई भी उपक्रम बिना आय के व्यय नहीं कर सकता।
“अभिभावकों से फीस मत लो और टीचर्स को समय पर वेतन दो, नौकरी से मत हटाओ”ये दोनों चीजें विरोधाभासी है व एक साथ असंभव हैं। ऐसे तुगलकी फरमान हास्यास्पद हैं।
हाँ, स्कूलें खुलने के बाद जो अभिभावक स्वेच्छा से पूरी फीस समय पर जमा करवाने में सक्षम हैं उन्हें करवाने के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, व जो कठिनाई अनुभव करते हैं उन्हें स्कूलों से संपर्क कर किश्त में जमा करने की सुविधा व समय लेना चाहिए, इसमें विद्यालयों को भी कोई कठिनाइ न हो, सरकार से आग्रह है की ध्यान दे.