कोरोना को लेकर नीतीश सरकार कितनी गंभीर है। इस प्रकरण से समझिए। 8 अप्रैल को PMCH माइक्रोबायोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉक्टर को 113 सैम्पल में से मात्र 3 सैम्पल की जाँच करने, Duty में लापरवाही, दूसरे देश दक्षिण कोरिया के बारे में ग़लत और भ्रामक जानकारी देने, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्रालय अथवा ICMR के नियमों व दिशा-निर्देशो के विरुद्ध कार्य करने व प्रतिकूल टिप्पणी देने और उनके आचरण को अनुशासनहीनता की पराकाष्ठा का द्योतक जैसे अतिगंभीर आरोप लगाकर विभाग द्वारा निलंबित किया जाता है।
निलंबित अधिकारी नीतीश जी के बेहद क़रीबी है। CM के सीधे हस्तक्षेप के बाद अतिगंभीर आरोप लगाने वाले स्वास्थ्य विभाग को 13 अप्रैल को निलबंन वापस करने के लिए CMO द्वारा बाध्य किया जाता है। सीएम बतायें स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रमाणित ग़ैरज़िम्मेवार और लापरवाह अधिकारी का निलबंन वापस क्यों कराया? महामारी के दौर मानव सभ्यता के ऊपर भारी संकट के समय भी अगर ऐसा अहंकारी अधिकारी अपने कर्तव्यों को लेकर चिंतित, गंभीर और ज़िम्मेवार नहीं है तो ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री द्वारा बचाने की क्या आवश्यकता है?
CM बताए ऐसी क्या बाध्यता थी कि कोरोना जाँच सैम्पल नहीं करने वाले ग़ैर-ज़िम्मेवार अधिकारी का निलंबन वापस क्यों कराया? क्या उसे एक ही संबंधित वर्ग से होने का फ़ायदा मिला ताकि वह और अधिक लापरवाही से जाँच नहीं कर लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर सके। क्या ऐसा अधिकारी जो बात-बात पर सीधा मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करने की धमकी देता हो वह भविष्य में विभाग में किसी की सुनेगा?
शैलेश तिवारी,