केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्री श्री रामबिलास पासवान भी हमारे द्वारा उठाई गयी बिहार में राशन और खाद्य वितरण में हो रही समस्याओं और विफलताओं को स्वीकार करते है। वो तो यह दावा कर रहे है कि बिहार को नियमित आवंटन से कहीं अधिक अतिरिक्त खाद्यान्न का आवंटन हुआ है फिर खाद्यान्न वितरण में बिहार सबसे फिसड्डी है।
महामारी के दौर में अब यदि गरीब भूखे मर रहे हैं, खाद्यान्न गोदामों में सड़ रहा है तो यह बिहार सरकार की सड़ी हुई मानसिकता का एकमात्र हिस्सा है। जनता को भ्रमित बिहार सरकार की प्राथमिकताएँ समझ नहीं आ रही है।
पासवान जी के दावे अनुसार बिहार सरकार खाद्यान्न का वितरण नहीं कर पा रही है। तो इसका स्पष्ट अर्थ हुआ कि बिहार के मुख्यमंत्री वितरण की बजाय स्वेच्छा से खाद्यान्न का स्टॉक कर रहे हैं क्योंकि नीतीश कुमार जी का सदा से दृढ़ विश्वास के साथ यह मत रहा है कि लोग तत्काल राहत को याद नहीं करते हैं और कुछ दिनों बाद जनता सब भूल जाती है जैसा की जनादेश अपमान के समय भी हुआ था।
इसलिए मुख्यमंत्री अपने आजमाए और परखे हुए फॉर्मूले को लागू कर रहे है। सरकार ज़रूरतमंदो को अभी वितरण इसलिए नहीं कर रही क्योंकि सारा बचा हुआ अनाज चुनावों से पहले वितरित करेंगे ताकि उसका चुनावी फ़ायदा मिल सके। महामारी के दौर में लोग भूखे मर रहे है और सरकार राजनीतिक जालसाज़ी और नफ़ा-नुक़सान में लिप्त है।
बिहार सरकार में पारदर्शिता है तो केंद्रीय मंत्री के आरोप का जवाब दें।
शैलेश तिवारी.