दरभंगा: मुसलमानों के पवित्र माह रमजान की शुरुआत शुक्रवार की शाम चाँद देखने के साथ ही शुरू हो गई।
लॉकडाउन में मुरझाए व सुस्त चेहरों पर चाँद की खबर सुनकर रौनक आ गई और हर घर में लोग नमाज़-ए-तरावीह की तैयारी करने लगे।
रहमत व बरकत वाले माह-ए-रमजान में मुसलमानों द्वारा पूरे महीने रोज़ा रखने की परंपरा है। आज मुसलमानों का पहला रोज़ा है। इसके लिए लोग सुबह फज़र की नमाज़ से पूर्व नींद से जाग कर सेहरी खाते है। सेहरी में हल्का और मीठा व्यंजन खाकर रोज़ा की नीयत करते हैं।
रमजान में पांच वक्त की नमाज़, कुरान की तिलावत, रात्रि में विशेष नमाज़-ए-तरावीह की अदायगी के साथ पूरे दिन सेहरी के बाद से इफ्तार तक निर्जल और निराहार रहकर रोज़ा को मुकम्मल करने का आदेश है।
रमज़ान के दिनों में सिर्फ भूखे प्यासे रहने भर से रोज़ा नहो हो जाता बल्कि शरीर के हर भाग को बुराई से बचाने और अच्छाई में लगाने का नाम रोज़ा है।
इसलिए रमजान के महीने में भूखे, गरीब, मजबूर, लाचार, बीमार, ज़रूरतमंद, विधवा, अनाथ आदि की मदद करनी चाहिए। इस माह बुरा देखना, सुनना, बोलना, करना, सोचना, बुरे रास्ते पर चलना, झूठ, विलासिता आदि सब वर्जित है।