पटना- आज शिक्षा विभाग की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा बैठक के बाद यह स्पष्ट हो गया कि 97 के करीब परसेंट शिक्षक हड़ताल पर हैं। इस आंकड़ा के बाद सरकार बैकफुट पर है। अब सरकार शिक्षकों को प्रलोभन देना शुरू कर दी है। साथ ही डराना धमकाना भी शुरू कर दी है। इसीलिए इंटरमीडिएट प्लस 2 शिक्षकों का संगठन राज्य स्तरीय स्नातकोत्तर प्लस टू शिक्षक संगठन संगठन के महासचिव डॉ डॉ.कृतन्जय
चौधरी ने कहा कि बिना वार्ता के हड़ताल से वापस नहीं आया जाएगा। नियोजन वाद से मुक्ति के लिए हड़ताल जरूरी है।
इंटरमीडिएट शिक्षा(+2 शिक्षा) सबसे महत्वपूर्ण है इसी के बाद विद्यार्थी डॉक्टर, इंजीनियर, 5 वर्षीय वकालत, एवं अन्य महत्वपूर्ण पदों पर जाने के लिए अपने आपको तैयार करते हैं। लेकिन इस पर सरकार का ध्यान सबसे कम है। ग्रामीण लड़कियों की शिक्षा का प्रमुख साधन इंटरमीडिएट प्लस टू विद्यालय है। इसलिए सरकार को इस शिक्षा को बढ़ावा देने एवं अच्छे शिक्षकों को आकर्षित करने के लिए प्लस 2 शिक्षकों के मांगों को मान लेनी चाहिए।
जैसे- प्लस 2 शिक्षकों का पदनाम व्याख्याता करना, वेतनमान लेवल 8 -47600-151100देना, प्रमोशन-उप प्राचार्य पद लेबल- 10-56100-177500, प्राचार्यपद लेबल 12-78800-209200 के पद पर करना, प्लस टू विद्यालय का नामकरण इंटर कॉलेज करना, प्लस 2 शिक्षकों को 12 साल की वरीयता देना माध्यमिक से अलग घर प्लस टू कक्षा को प्रातः कालीन सत्र में चलाना, राज्य कैडर बना कर राजभर में ट्रांसफर की सुविधा, एजुकेशनल लीव सवैतनिक , महिलाओं एवं पुरुषों को शिशु देखभाल अवकाश सरकारी कर्मचारियों की तरह, पीएफ की सुविधा, गेस्ट शिक्षकों का स्थायीकरण प्लस 2 शिक्षक के रूप में, आदि मांगों पर अगर सरकार विचार करती है तब ही वार्ता हो अन्यथा हड़ताल जारी रहेगा। अभी हड़ताल जारी है।