पटना – “जब मन रुंआसा होता है और आंसू नहीं आते हैं, शब्द कागज पर उतरते हैं और कविता बन जाते हैं।’ कोरोना लॉकडाउन में लोग घरों में बंद हैं। ऐसे में जनता और कोरोना के बीच कोई खड़ा है तो वो है पुलिस। अक्सर पुलिस की छवि कुछ कारणों से बहुत बेहतर नहीं रही हो लेकिन बिहार पुलिस लोगों के बीच मसीहा सा दिख रही है। कहीं वो भूखों को खाना खिला रहे हैं तो कहीं बीमार तक दवाइयां पहुंचा रहे हैं। इस बुरे वक्त ने बहुत कुछ अच्छा भी किया है। सबसे अच्छा है पुलिस के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ना। प्रशासन और जनता के बीच इस मुश्किल घड़ी में वर्दी वाले ही फर्स्ट रिस्पोंडर हैं। मदद के लिए उठते खाकी हाथ लोगों के दिलों तक असर कर रहे हैं। कोरोना से जंग में बिहार पुलिस अहम भूमिका निभा रही है। लोगों के बीच पुलिस के जवान नए-नए प्रयोग करते नजर आ रहे हैं। कहीं पर कड़ाई तो कहीं पर भलाई के साथ लोगों को समझाया जा रहा है। जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाने में भी पुलिस जवान पीछे नहीं हैं। इन सबके बीच बिहार पुलिस ने एक बार फिर लोगों का दिल जीतने वाला काम किया है। बिहार पुलिस को मार्ग दिखाने वाले डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय।
बता दें कि 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर पांडे का जन्म बक्सर जिले के छोटे गांव गेरुआ में 1961 में हुआ था। बिजली, सड़क, अस्पताल और स्कूल जैसी मूलभूत सुविधाओं से कटे इस गांव के बच्चों को प्रभावी शिक्षा के लिए नदी नाला पार कर दूर के गांव जाना होता था।दूसरे गांव की स्कूल में भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव था कोई बेंच, डेस्क, कुर्सी नहीं थी। गुरु जी की बैठने के लिए चारपाई और छात्रों के लिए बोरा या जूट की टाट थी। पढ़ाई का मध्यम ठेठ भोजपुरी था। ऐसे माहौल के बावजूद गुप्तेश्वर पांडे के दिल में कुछ बड़ा करने का जज्बा था। यही कारण रहा कि तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद बिहार पुलिस के शीर्ष पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। परीक्षा में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण करने के बाद इन्होंने पटना विश्वविद्यालय में नामांकन कराया और अपनी मेधा परिश्रम और दृढ़ संकल्प के जरिए बिना किसी कोचिंग के बल पर परीक्षा उतीर्ण की लेकिन संतुष्ट नहीं हुए तो दोबारा परीक्षा दी और आईपीएस बने और उनको बिहार में ही सेवा करने का मौका मिला। पदभार संभालने के बाद गुप्तेश्वर पांडे ने कहा है कि अपराध पर नकेल कसना उनकी पहली प्राथमिकता होगी। इसके लिए वह एक टीम बनाएंगे जिसमें सारे सीनियर IPS अधिकारी रहेंगे। उन्होंने कहा कि काम में कोताही बरतने वाले पुलिस नपेंगे और इसमें कोताही कतई बर्दाश्त नही किया जाएगा। गुप्तेश्वर पांडेय का कहना है कि अगर भारत के लोग जाति और धर्म के नाम पर लड़ना छोड़ दें, तो भारत से अच्छा दुनिया में कोई दूसरा देश नहीं है।ऐसा पहली बार नहीं है कि जब गुप्तेश्वर पांडे अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में आए हैं. हाल ही में अपने ही पुलिस पर सवाल खड़े करते हुए गुप्तेश्वर पांडे ने कह दिया था कि पुलिस की सांठ-गांठ के कारण ही शराबबंदी के बावजूद बिहार में शराब धड़ल्ले से बेची जा रही है। बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे एक कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए ब्रिटेन गए हुए थे 3 दिवसीय ‘सिक्युरिटी एंड पुलिसिंग 2020’ कॉन्फ्रेंस 5 मार्च को समाप्त हुुुआ।
पुलिस के मनोबल के साथ साथ चाकूदार गणेश राम DGP से बात कर जहाँ उन्होंने पुलिसिंग को ताकत दी ओही क़ृषि पदाधिकारी पर FIR करवा का अफसरों को ज्ञान दिया की कितना भी छोटे कद का कर्मचारी हो सभी को सम्मान की जरुरत है.
रामा शंकर प्रसाद, कौशलेन्द्र पाण्डेय