सतीश मिश्रा , मुजफ्फरपुर
यह विचित्र विडम्बना है कि भारत के किसान प्रकृति की मार के साथ साथ नीलगाय , जंगली सूअर के आतंक से पीड़ित हैं । किसानो की सैकड़ों हेक्टेयर फसल को खा कर किसानों की कमर तोड़ देने वाले नीलगाय , जंगली सूअर आज किसानों के समक्ष एक बड़ी समस्या बनी हुई है । नीलगाय प्रतिवर्ष दो बार बच्चों को जन्म देती है जिस कारण इनकी जनसंख्या चौगुनी बढ़ती जा रही है । देखते ही देखते कुछ ही दिनों में यह सैकड़ों की संख्या में हो जाते हैं और किसानों की खेतो मे लगे रबी , खरिफ आदि फसल खा जाते हैं । सरकार के सामने किसानों ने हमेशा इस समस्या को उठाया है मगर सरकार द्वारा इस समस्या पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका । जिस वजह से यह किसानो के लिए एक विकराल समस्या बनी हुई है । कभी कभी ये नीलगाय के झुंड किसानों व सड़क से गुजर रहे राहगीरो को घायल भी कर देते हैं । जिस कारण किसान इसके सामने जाने से डरते हैं । नीलगाय द्वारा फसलों को चर जाने की वजह से फसल का उत्पादन कम हो रहा है । जिस कारण किसानों के मेहनत पर पानी फिर जाता है । दुर्भाग्यवश नीलगाय को मारना कानूनी अपराध है । जिस कारण किसान नीलगायों के उन्मूलन का कोई ठोस उपाय भी नहीं कर पा रहे हैं । किसानों द्वारा सरकार को लगातार इस विषय पर बताया जा रहा है मगर सरकार के उदासीन रवैये से किसान दुखी और किसानी छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं । अत: सरकार को किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए अतिशीघ्र नीलगाय की समस्या पर अंकुश लगाना चाहिए । बिहार मे राजनीतिक पार्टिया चुनावी बिगुल बजने के बाद क्षेत्र मे भाषणबाजी कर एक – दूसरे आरोप – प्रत्यारोप लगाते है । लेकिन सभी राजनितिक पार्टियों के मुखिया किसान की समस्या पर खुलकर बोलने से परहेज करते है । राजनीतिक पार्टियों व सरकार की कभी – कभी उदासीनता के वजह से किसानो को अपना अनाज बिचौलियो के हाथो औने – पौने दाम पर बेचने की मजबूरी बन जाती है । सरकार चाहे तो नीलगायों की नसबंदी करा कर उनकी जनसंख्या को नियंत्रित कर सकती हैं जिससे किसानों को लाभ मिलेगा । जिस भारत को भारतीय किसानों ने अपने खूून पसीने से सींचकर चिड़िया का घर बनाया था । आज वही किसान त्राहिमाम – त्राहिमाम कर रहा है ।एक तरफ किसान प्रकृति की मार तो दूसरी तरह सरकार का किसानों के प्रति उदासीन रवैया समस्या बनी हुई है । भारतीय किसानों का दुर्भाग्य है कि अथक परिश्रम के बाद भी वे सरकार के गोदाम तो भरते हैं मगर अपने घर की भूखमरी दूर नहीं कर पाते । आज भारतीय किसान अनाज की उचित मूल्य नहीं मिल पाने के कारण आत्महत्या करने पर मजबूर हैं । यह विडम्बना ही है कि किसान अपनी उपज का मूल्य स्वयं तय नहीं करता । सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर अनाज बेचना किसानों की मजबूरी है । दलाल और बिचौलिए किसानों को सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर अनाज बेचने ही नहीं देते , बड़े-बड़े अनाज कारोबारी किसान की गरीबी का फायदा उठाकर कम किमत में अनाज खरीद लेते हैं । आज बाजार में छोटी से छोटी कंपनी भी अपने प्रोडक्ट का मूल्य स्वयं तय करती है मगर किसान अपनी लागत मूल्य से कम कीमत पर अनाज बेचने को मजबूर हैं । खाद , उर्वरक , बीज , कीटनाशक इत्यादी का मूल्य आसमान छू रहा है मगर किसान के अनाज की कीमत घट ही रही है । उसके साथ नीलगाय , जंगली जानवर किसानों की फसल को खाकर किसान को अधमरा कर देते हैं । आधी , तूफान , ओलावृष्टि , सूखाड़ , बाढ़ से जब किसान अपनी फसल को बचा लाता है तो सरकारी दलाल तैयार फसल की मोलभाव करते हैं । यह दुर्भाग्य ही है कि आठ घंटे काम करने वाले कर्मचारी को हजारों रूपए तनख्वाह मिलता है मगर चौबीस घंटा खेतों में काम करने वाले किसान को सरकार एक फूटी कौड़ी नहीं देती । किसान खेत में काम करते मर जाये कोई पूछने वाला नहीं । यह दुर्भाग्य है भारतीय किसान का । सरकार द्वारा सस्ते दरों पर किसान के अनाज को खरीद कर फ्री में बांटना ही किसानों की बदहाली का मुख्य कारण है । जिस कारण किसान के अनाज की कीमत कम हो गई । मुफ्त अनाज मिलने के कारण अनाज का महत्व कम हो गया । जनता के बीच में किसान का सम्मान कम हो गया । समय आ गया है कि किसानों को उनकी खोई प्रतिष्ठा दिलाई जाये । किसान को सरकार द्वारा पेंशन ,जीवन बीमा दिया जाये । दलालो और बिचौलियों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए सभी प्रखंडों में सरकार अनाज क्रय केंद्र खोला जाये । सरकारी खाद , उर्वरक बीज कीटनाशक की दुकान सभी पंचायतों में खोली जाये । आज कोरोनावायरस की महामारी ने साबित कर दिया कि किसान के अनाज के बगैर हम जीवित नहीं रह सकते । आज पूरे विश्व में लॉकडाउन है उधोग धंधे बंद है , बड़ी बड़ी कंपनियों में ताला लगा है । तेल की कुओं से तेल निकालना बंद है क्योंकि गाड़ीयां , फैक्ट्री सब बंद है । मगर किसान जिंदाबाद हैं । सरकार किसान से खरीदे सस्ते अनाज को बांट कर वाहवाही लूट रही है । जनता का जीवन किसान के हाथों में है । इसलिए नयी पीढ़ी जो किसान के कामों को हे्य दृष्टि से देखती है । आज किसान के सामने नतमस्तक है । इसलिए किसानी से जोड़ने के लिए पाठ्यक्रम में किसानी के सिलेबस को शामिल किया जाये । मैं सतीश बाबा पूर्व प्रत्याशी वैशाली लोकसभा भारत सरकार से मांग करता हूं कि १.किसानो को पेंशन दिया जाये
२.किसानो का बीमा किया जाये
३.किसानी को पाठ्यक्रम में शामिल किया जायेगा
४.प्रत्येक प्रखंड में अनाज क्रय केंद्र खोला जायेगा
५.प्रत्येक पंचायत में सरकारी उर्वरक , कीटनाशक की दुकान खोली जाये । उक्त बातों को ही मानकर भारत के किसानों को समृद्ध और खुशहाल बनाया जा सकता है । तभी भारत पुनः सोने की चिड़िया बनेगी। आज जितनी भी राजनीतिक पार्टियां है अपनी अपनी राजनीतिक चमकाने के फेर में लगी हुई है लेकिन किसान के बारे में आज तक कोई भी पाटिया पूछने के लिए भी तैयार नहीं है कि किसान कैसे जी रहा है ? और कैसे मर रहा है । आज हमारे देश के किसान ही इस कोरोना महामारी में सभी लोगों का पेट भरने का काम कर रही है । सरकार की सारी व्यवस्थाएं बंद हो गई है लेकिन किसान इस महामारी में भी लोगों को पेट भरने के लिए अन्न उपज करने के लिए मेहनत कर रहे है ।