वाराणसी { कंट्री इनसाइडर न्यूज़ } देश भर में कोरोना का आतंक फैलाने वाले मौलाना साद का काशी में भी जड़े है । यह भी पता चल रहा है कि तब्लीगी जमात के वाराणसी में भी सैकड़ों अनुयायी हैं इनमें मदनपुरा वासीयों की बड़ी तादात है । यह वही मुहल्ला है जहाँ कोरोना का कहर टूटा है । इन अनुयायियों में बड़ी संख्या में एक वर्ग विशेष के रसूखदार व रईस लोग भी हैं । एक मुस्लिम धर्मगुरू ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि तब्लीगी जमात के लोगों की खास पहचान है । मसलन ये लोग सगे सम्बन्धी के इंतकाल के बाद न तो फातिहा पढ़ते हैं और न ही चालीसवां की रस्म अदा कलते हैं । ये कट्टर बहावी हैं । ये शबे बारात भी नहीं मनाते हैं । इनकी वेशभूषा, हुलिया आम मुसलमानों से अलग है । मसलन लम्बा कुर्ता और ऊंचा पायजामा इनकी पहचान है । बीना मूंछ की दाढ़ी इनका हुलिया हैं । शहर कई मुहल्लो में ये फैले हैं , इनमें पढ़े लिखे लोग भी शामिल हैं ।
बताया जाता है कि धर्म के प्रचार-प्रसार के नाम पर बनारस से लाखों का फंडिंग जमात को जाता है । निजामुद्दीन मरकज़ से गायब किये गये कम्प्यूटरों में सारा लेन देन का वितरण है । अगर कायदे से छानबीन किया जाएगा तो दुध का दुध और पानी का पानी सामने आ जाएंगा ।
जानकारों का कहना है कि यह महज इत्तेफाक नहीं है कि इतनी बड़ी संख्या में कोरोना पाॅजिटिव केस मदनपुरा में पकड़े गये । शुरू-शुरू में जमातियों को छिपाने का पुरा प्रयास किया गया, लेकिन जब लक्षण हद से बाहर हो गया तो प्रशासन को बताया मजबुरी हो गया ।
आपको बता दे कि मदनपुरा में छिपे जमाती खुद-ब-खुद बाहर नहीं निकले , बल्कि इनका पता कान्टेक्ट ट्रेनिंग से चला । इसके बाद पुलिस व प्रशासन सक्रिय हुआ, लेकिन हैरानी की बात यह है कि वाराणसी नगर में किसी भी तब्लीगी के खिलाफ पहचान छिपाने का मुकदमा दर्ज नहीं किया । इसके पीछे पुलिस प्रशासन की क्या मंशा है यह तो वही जाने, परन्तु मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का सख्त आदेश है कि स्वत: बाहर न आने पर तब्लीगियों पर एनएसए के तहत मुकदमा चलाया जाये ।
सियाराम मिश्रा, सह संपादक