UP में ब्राह्मणों की हत्या पर अंग्रेजी मीडियम पत्रकारों की चुप्पी आश्चर्यजनक है क्योंकि आजकल राष्ट्रवाद को प्रदर्शित करने का एक फैशन इन लोगों ने अपना लिया है इनकी इस गतिविधि से यह पता चलता है कि इन लोगों की राष्ट्रवादिता मां भारती के गर्भ से नहीं बल्कि मिशनरी स्कूल की उपज है|इन लोगो की थोथी राष्ट्रवादिता कभी भी पश्चिमी सभ्यता और क्रिश्चियनिटी के खिलाफ नहीं बोलती जिस सभ्यता ने भारत के इतिहास को परिवर्तित कर दिया उसके खिलाफ न बोलने की इनकी साजिश का पर्दाफाश होना चाहिए प्रत्येक दिन चैनल पर शाम में आकर चिल्लाकर कर जो अपनी थोथी राष्ट्रवादिता का प्रदर्शन करते हैं वह मां भारती और इस भारतवर्ष के साथ अन्याय है यदि इतना ही राष्ट्र के प्रति ईमानदार हैं तो सर्वप्रथम इन्हें अपने चैनलों पर चलने वाले विदेशी सामानों के प्रचार को तुरंत रोक देना चाहिए यदि एक नागरिक विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करेगा तो फिर यह उद्योगपति क्यों विदेशी वस्तुओं का प्रचार करेंगे|ये प्राइवेट चैनल वाले विदेशी संस्कृति का जो विभत्स स्वरूप फैलाते हैं उसे तुरंत प्रभाव से रोक देना चाहिए और इन्हें भारत के वास्तविक इतिहास के प्रति लोगों को जागरूक करने का प्रयास करना चाहिए ताकि लोगों के मन मस्तिष्क के ऊपर से लॉर्ड मैकाले के इतिहास के प्रभाव को समाप्त किया जा सके यदि यह चैनल वाले ऐसा नहीं करते तो फिर यह झूठे राष्ट्रवाद का प्रदर्शन करते हैं ऐसे में इनका लक्ष्य केवल टीआरपी है ना कि भारतवर्ष की आत्मा से जुड़ाव| ऐसे में जो ये झूठी पत्रकारिता के माध्यम से मां भारती के गोद को छलनी कर रहे हैं इन्हें दायित्व मुक्त कर देना चाहिए यदि सरकार ऐसा नहीं कर पा रही है तो जनता से अपील है कि वह रामधारी सिंह दिनकर की वह पंक्ति याद करें और आगे बढ़े- सिहासन खाली करो कि जनता आती है|