भगंदर (एनल फिस्टुला) से परेशान मरीजों को बड़ी राहत मिली है। फोर्टिस अस्पताल के वरिष्ठ कोलो रेक्टल व लैप्रोस्कापिक डॉ. पंकज गर्ग ने इस बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए ऑपरेशन की नई तकनीक ईजाद की है.इससे ऑपरेशन करने पर बहुत कम चीरा लगाना पड़ता है और दर्द भी बहुत कम होता है। ऑपरेशन के एक दिन बाद ही मरीज काम पर लौट सकता है।
डा. पंकज के मुताबिक, इस तकनीक में अधिकतम डेढ़ सेंटीमीटर का चीरा लगाया जाता है, जबकि अन्य तकनीक में कई गुना बड़ा चीरा लगता था।डा. गर्ग ने इसे प्रकाशित करवाने के लिए जरनल अमेरिकन सोसाइटी ऑफ कोलोरेक्टल के पब्लिकेशंस में भेजा है। मई में वे इस तकनीक का लाइव डेमो अमेरिका में दिखाने जाएंगे।उन्होंने इस तकनीक का नाम गर्ग परफेक्ट ऑपरेशन रखा है। इसके लिए डॉ. गर्ग को 27 से 29 दिसंबर को अहमदाबाद में आयोजित एसोसिएशन ऑफ सर्जन ऑफ इंडिया की कांफ्रेंस में शैल्य चिकित्सा के सर्वोच्च अवार्ड से सम्मानित किया गया है। पुरस्कार के तौर पर उन्हें एक गोल्ड मेडल और 25 हजार नगद इनाम से पुरस्कृत किया गया।ऐसे होती है यह बीमारीएनल फिस्टुला काफी गंभीर बीमारी है। इसकी शुरुआत एक फोड़े से होती है। जब यह चमड़ी और गुदा में फूट जाता है तो पस आने लगता है।इसके इलाज के लिए कई ऑपरेशन किए जाते हैं, लेकिन उससे मरीजों को फायदा नहीं होता और महीनों बेड पर पड़े रहना पड़ता है।यदि इसका समय पर इलाज नहीं किया गया तो इससे कैंसर होने का खतरा पैदा हो जाता है। डॉ. गर्ग के पास एनल फिस्टला व एनल फिशर का इलाज कराने के लिए विदेशों से काफी मरीज आते हैं।
देश के पहले सर्जनडॉ. पंकज के पिछले पांच सालों अमेरिका व यूरोप के जरनल में 30 से ज्यादा शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अलावा उन्हें इन सालों में 40 से ज्यादा बार अमेरिका व यूरोप में आयोजित कांफ्रेंस में आमंत्रित किया जा चुका है।
इन उपलब्धियों की वजह से डॉ. गर्ग को अमेरिका के दूरबीन आपरेशन के सर्वोच्च अवार्ड अंतरराष्ट्रीय यंग इंवेस्टीगेटर अवार्ड से नवाजा जा चुका है। यह अवार्ड पाने वाले वह देश के पहले डॉक्टर हैं।
निखिल दुबे.