वाराणसी। रमज़ानुल मुबारक की दिली मुबारकबाद…
इस साल का रमज़ान हर साल से अलग होगा।
रमज़ान मुबारक रहमतों और बरकतों का महीना है और इसमें अलग अलग इबादतों को जमा करना यानी रोज़ा, तरावीह तिलावते क़ुरआन, ज़िक्र व दुआ का एहतेमाम करना अल्लाह पाक से ताल्लुक और आखिरत की कामयाबी का ज़रिया है। मगर बदकिस्मती से मुल्क में फैली हुई वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की वजह से पूरे देश में लॉक डाउन लागू है। इस लिए हमें रमज़ान के बेश क़ीमती समय को इस तरह गुज़ारना है जिससे ये इबादतें भी अदा हो जाएं और ज़िला प्रशासन एवं स्वास्थ विभाग के निर्देशों का उल्लंघन भी ना हो, जिस तरह अब तक पांच वक़्त की नमाज़ व जुमा घर पर ही अदा करते रहे हैं ।
1.तरावीह की नमाज़ भी घर पर ही अदा करने का एहतेमाम करें जिसमें दूसरे घर के लोगों को बिल्कुल भी जमा ना किया जाए।
2.मस्जिदों में तरावीह में भीड़ इकठ्ठा ना की जाए ब्लकि वही पांच लोग शामिल हों जो पांच वक़्त की नमाज़ में शामिल होते हैं।
3.घर में अगर हाफ़िज़ ऐ क़ुरान हों तो उनकी इमामत में तरावीह पढ़ी जाए वर्ना सूरह तरावीह जमाअत से अदा की जाए और अगर कोई इमामत करने वाला ना हो तो अकेले तरावीह अदा की जाए।
4.चांद देखने का एहतेमाम करें और अगर चांद नज़र आ जाए तो जिम्मेदारों से राब्ता करें।
5.रोज़ा रखने का एहतेमाम करें, बग़ैर किसी शरई मजबूरी के हरगिज़ रोज़ा ना छोड़ें क्योंकि ऐसा करना सख्त गुनाह है।
6.मस्जिदों में सार्वजानिक इफ्तार की व्यवस्था ना करें, हर हाल में भीड़ जमा करने से बचें।
7.शबे कद्र और अखीर अशरे की दीगर रातों में घर पर ही अपनी इबादत का ऐहतेमाम करें।
8.लॉक डाउन की वजह से अगर खाने पीने के ज़रूरी सामानों की फराहमी में दिक्कत हो तो सब्र से काम लें क्योंकि ये सब्र का महीना है।
9.अपने आसपास के गरीबों और ज़रूरत मंदों का खास ख्याल रखें, सदक़ा व खैरात ज़कात का ऐहतेमाम करें।
10.कुबूलियत की घड़ी में यानी इफ्तार और सहर से पहले खास तौर से दुआओं का ऐहतेमाम करें जिसमें यह भी दुआ करें कि अल्लाह तआला इस महामारी करोंना से पूरी इंसानियत की हिफाज़त फरमाए
आप लोग निराश ना हों अल्लाह पाक की कुछ बेहतरी होगी।
प्रशासन का सहयोग करें और डॉक्टरों की सलाह माने
माह-ए-मुकद्दस की दिली मुबारकबाद.
अल्लाहताला हम सब पर रहम करें.
आप की दुआवो का तलबगार
डॉं० जफ़रूल्लाह ज़फ़र.
सियाराम मिश्रा, सह संपादक