कौशलेन्द्र पाण्डेय /
मध्य प्रदेश सरकार ने भाजपा के वरिष्ठ नेता के ऐसे बेटे को सुप्रीम कोर्ट ने अपना स्थायी वकील (स्टैंडिंग काउंसिल) बना दिया जो इसकी योग्यता ही पुरी नहीं करते हैं। ये वरिष्ठ नेता केंद्रीय संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद और उनके बेटे का नाम आदित्य शंकर है। इस पद के लिए बार काउंसिल द्वारा आयोजित एडवोकेट ऑन रिकार्ड (एओआर)परीक्षा पास करना जरूरी है लेकिन आदित्य ने यह परीक्षा पास नहीं की है। सुप्रीम कोर्ट में 12 साल तक मध्य प्रदेश सरकार के स्थाई वकील रहे। एडवोकेट बीएस. बांठिया ने नियुक्ति पर एतराज जताते हुए कहा कि जिस व्यक्ति के पास इस पद की योग्यता ही नहीं है उसे यह जिम्मेदारी कैसे दी जा सकती है? बांठिया ने कहा कि आदित्य की एकमात्र योग्यता यह है कि वे रविशंकर प्रसाद के पुत्र हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की स्थाई वकील विभा दत्ता माखीजा की जगह नई नियुक्ति की प्रक्रिया पिछले दिनों शुरू हुई, हालांकि सूत्रों के अनुसार राज्य के विधि विभाग ने आदित्य के एओआर उत्तीर्ण नहीं करने के कारण एतराज किया था, लेकिन आदित्य शंकर को बैक डोर एंट्री करवा दी गई। एडवोकेट बांठिया ने कहा कि योग्यता नहीं होने के कारण नए स्थाई वकील सुप्रीम कोर्ट में केस भी फाइल नहीं कर सकते। विधि विशेषज्ञों का कहना है कि मुकदमा दायर करने के लिए भी उन्हें किसी एओआर का सहयोग लेना पड़ेगा। इस नियुक्ति के बारे में विधि विभाग के प्रमुख सचिव वीरेंद्र सिंह ने टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। हालांकि इस नियुक्ति को लेकर अफसरों का तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट में कई स्थाई वकील है जो ए ओ आर नहीं है।प्रदेश सरकार ने अपने तीन स्थाई वकीलों के बीच काम का बंटवारा कर दिया है। आदित्य शंकर को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के मामले सौपेंं पर गए हैं। उन्हें महिला बाल विकास विभाग से संबंधित सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मुकदमों की जिम्मेदारी भी दी गई है। आदेश में कहा गया है कि राज्य सरकार उन्हें अन्य मामले भी दे सकती है।