नोवल कोरोना वायरस भारत मे आयात संक्रमण है। न इसका कोई रंग है, न कोई धर्म। मानवता पूरे तौर पर इसके चपेट में है। यह हवाई जहाज से गांव व शहरों में पहुँचा है। जिसका असर मानव जीवन के यापन तथा भारत के अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर डाल रहा है।
उत्पादन के साथ साथ आवागमन पूरी तरह से ठहर सा गया है। मजदूर, किसान के निवाले पर संकट के बादल भी छा गए हैं। पर दूसरे तरफ संक्रमण को साम्प्रदायिकरण करने से लोग बाज नही आ रहे हैं। अब दुकानों पर भी मैं हिंदू हूँ के स्टीकर लगाएं जा रहे हैं।
सम्प्रदायिकता का ये जहर गांव के गली कूची में भी फैलाया जा रहा है। यह संक्रमण शरीर के साथ तो खेल खेल ही रहा है उससे ज्यादा खेल मजहब के बीच दीवार पैदा कर रही है। इतनी भयावह साम्प्रदायिक असर शायद ही कभी दिखा हो। अपने नाकामियों पर साम्प्रदायिकता का पर्दा डालकर लोग हाथ धोने में लगे हैं। बिहार की भूमि बुद्ध के शांति का संदेश व सनातन कर्तव्यों के आचरण करने के लिए जाना जाता है।
यहाँ सम्प्रदायिकता का कोई स्थान नही है। सभी प्रबुद्ध वर्ग धर्मालंबियों को विचार करना होगा संक्रमण से तो लड़े, पर साम्प्रदायिकता के जहर का असर समाज पर न हो इसका ख्याल सभी को करना होगा। देश की राजनीति भारत की एकता और अखंडता से ऊपर नही हो सकता है। राजनीति भारत की एकता और अखंडता को बनाये रखने के लिए है तोड़ने के लिए हैं.
शैलेश तिवारी, पोलिटिकल एडिटर