बिहार प्रदेश कॉंग्रेस कमिटी रिसर्च विभाग एवं मैनिफ़ेस्टो समिति के अध्यक्ष आनन्द माधव ने एक बयान जारी करके कहा है कि बिहार सरकार हर मोर्चे पर विफल होती नज़र आ रही है। अब जबकि केंद्र सरकार में लॉक डाउन के नियमों में परिवर्तन करते हुये बिहार के बाहर फँसे बिहारी मज़दूर एवं छात्रों को वापस सानें का रास्ता साफ कर दिया है तो सरकार के हाथ पाँव फूल गये हैं। सरकारी ऑंकडे बताते हैं कि बाहर फँसे बिहारी मज़दूरों की संख्या सत्रह लाख से अधिक है, हलांकि ग़ैर सरकारी सूत्रों के हिसाब से यह संख्या पच्चीस लाख के आस पास है।इतनें लोगों को वापस लानें के लिये सरकार के पास कोई साधन नहीं है, केंद्र सरकार के आगे हाथ पसार रहे हैं । केंद्र भी आपकी और राज्य भी आपका तो बार बार आप हाथ क्यों पसार रहे। सरकार के लिये एक तो पहले इन्हें लाना और फिर उन्हें कवरंटाइन करना एक बहुत बड़ी चुनौती है। यह तो स्पष्ट है कि इतनी बड़ी संख्यां में लोगों की जाँच करनें में बिहार का स्वास्थ्य विभाग कहीं से सक्षम नहीं है। सच्चाई तो यह है कि बिहार में स्वास्थ्य विभाग एक मज़ाक़ बन कर रह गया है। असफलता दर असफलता की कहानी लिखता चला आ रहा है।फिर इतनी बड़ी संख्या में लोगों का जाँच करना फिर इनको फालोअप करना कहीं से संभव नहीं दिखता।
विपक्ष की आप कोई सलाह लेना नहीं चाहते और ना ही इसे प्रकृया में शामिल करते, इसका मूल कारण शायद यही है कि सरकार को डर है कि कही उनके राहत एवं अन्य कार्यों की पोल ना खुल जाये।अगर आपसे राज नहीं सँभलता तो छोड़ दीजिये गद्दी श्रीमान। पन्द्रह वर्षों से सत्ता में रहने के बाद भी अगर आप जनहित की नहीं सोच सकते तो आपको गद्दी पर रहनें का कोई अधिकार नहीं है।बहुत हो गया सुशासन का ढकोसला, जनता सब जान चुकी है कि आप मात्र कुर्सी बाबू हैं।
शैलेश तिवारी, पोलिटिकल एडिटर