दरभंगा : धरतीपुत्र श्रीसीता का प्राकट्य दिवस समारोह शुक्रवार को मिथिला क्षेत्र सहित जिला के शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में उल्लास पूर्वक मनाया गया। कोरोना महामारी को लेकर इस वर्ष कहीं भी मूर्ति स्थापित कर पूजा-अर्चना का सार्वजनिक कार्यक्रम तो नहीं हुआ, लेकिन विभिन्न संस्थाओं ने शिव-धनुर्धारिणी भगवती सीता के चित्र के समक्ष दीप जलाए और पूजा की। वीर माता को प्रसाद भी चढ़ाया गया। वही लोगों ने घर घर में सीता के चित्र के समक्ष धूप-आरती कर उनकी पूजा की। घरों से सीता सोहर के साथ ही “मिथिलाकेर धिया सिया जगत जननि भेली” गीत गूंजते रहे।
आयोजन को बनाएंगे चिर स्मरणीय : डाॅ. पाठक
घर-घर सीता महा अभियान में जुटी संस्था साहित्यिक एवं सांस्कृतिक विचार मंच “ऋचालोक” की ओर से इस वर्ष भी कुछ लोगों को शिव-धनुर्धारिणी की तस्वीर उपलब्ध कराते हुए उनसे जानकी नवमी पर पूजा का आग्रह किया गया। संस्था के कार्यालय में जानकी के चित्र के समक्ष पूजन “जानकी-सम्मेलन” की व्यवस्थापिका आरती कुमारी ने संपन्न किया। इसमें दीक्षा एवं अमृत भारत ने सक्रिय भूमिका निभाई। संस्था के महासचिव डॉ. अमलेन्दु शेखर पाठक ने अगले वर्ष पूर्व की भांति शिव-धनुर्धारिणी की मूर्ति स्थापित कर पूजा-अर्चना करने तथा आयोजन को चिर स्मरणीय बनाने का संकल्प लिया। साथ ही सभी से आग्रह किया कि अभी से अगले वर्ष होने वाले जानकी नवमी को चिर स्मरणीय बनाने की परिकल्पना में जुट जाएं। साहित्यकार अगले साल सीता पर केंद्रित काव्य संग्रह या अन्य पुस्तकों के प्रकाशन की योजना बनाएं तो कलाकार संकल्पित हों कि अभी से एक वर्ष तक जहां कहीं भी वे अपनी प्रस्तुति देंगे कम से कम एक रचना मिथिला पुत्री सीता पर केंद्रित अवश्य रखेंगे। चित्रकारों से सीता का विभिन्न भाव-भंगिमा का चित्र बनाने का आग्रह भी उन्होंने किया।
इधर, ऋचालोक की ओर से हर वर्ष होनेवाले जानकी-सम्मेलन की व्यवस्थापिका आरती कुमारी ने सोशल मीडिया के माध्यम से इसमें भाग लेनेवाली माताओं-बहनों का आह्वान किया कि वे श्रीसीता का पूजन घर-घर में करें और बेटियों को सीता के चरित्र के अनुकूल बनाएं। साथ ही बेटों को भी संस्कारित करें ताकि एक अनुशासित व चरित्रवान नागरिक देश को दे सकें। उन्होंने कहा कि चरित्रवान बेटों से ही मातृशक्ति का सम्मान बरकरार रहेगा और देश में माताओं-बहनों के साथ होने वाली अमर्यादित घटनाओं पर विराम लगेगा।
मिथिला राज्य निर्माण का लें संकल्प : बैजू
विद्यापति सेवा संस्थान के प्रधान कार्यालय में शिव-धनुर्धारिणी सीता के चित्र के समक्ष शास्त्रीय विधि से उनकी पूजा-अर्चना की गई। लालन कुमार झा के पौरोहित्य में डॉ. अमलेन्दु शेखर पाठक ने पूजा की। संजीव कुमार झा के वेदपाठ से वातावरण अनुगुंजित होता रहा। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए संपन्न इस कार्यक्रम में संस्थान के महासचिव डॉ. बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए समस्त मिथिलावासियों को सभी भेदभाव भुलाकर सीता के चरण में समवेत होना चाहिए। उन्होंने मिथिला के समग्र विकास के लिए पृथक मिथिला राज्य के गठन की अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि स्वाधीनता के सात दशक बाद भी मिथिला विकास के मामले में काफी पीछे है। कभी शिक्षा का गढ़ माने जाने वाली मिथिला के बच्चे पढ़ाई के लिए बाहर जाने को विवश हैं। इस लॉकडाउन में लाखों बच्चे अन्य राज्यों में फंसे हैं। यदि मिथिला क्षेत्र में पढ़ाई की बेहतर व्यवस्था होती तो ऐसा कदापि नहीं होता। उन्होंने मिथिला के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक विकास व राजनैतिक महत्त्व के लिए पृथक मिथिला राज्य बनाने की मांग केंद्र सरकार से की। वहीं राज्य सरकार से प्राथमिक शिक्षा में मैथिली को अनिवार्य करने तथा पृथक राज्य के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजने का आग्रह भी किया। इस मौके पर जीवकांत मिश्र, हेमंत झा, आशीष चौधरी, पवन कुमार चौधरी, विजयकांत झा, प्रो. चंद्रमोहन झा पड़वा आदि मौजूद थे।
जखन तखन ने मनाई जानकी नवमी
साहित्यिक संस्था “जखन तखन” की ओर से मैथिली के साहित्यकार एवं संस्था के प्रबन्धक हीरेंद्र कुमार झा ने शुभंकरपुर स्थित कार्यालय में शिव-धनुर्धारिणी की पूजा की। गांधीनगर कटरहिया में डाॅ. श्रीशंकर झा ने तथा शुभंकरपुर में विनोद कुमार झा ने भगवती सीता की पूजा कर उनसे विश्वकल्याण का आशीष मांगा। ऋचालोक के सचिव प्रो. चंद्रशेखर झा बूढ़ाभाइ ने अपने राजकुमारगंज में भगवती की पूजा की।
जरूरतमंदों की करें मदद, मारवाड़ी महिला सम्मेलन की दरभंगा शाखा की ओर से इस वर्ष लॉकडाउन के कारण आयोजन नहीं होने पर खेद जताते हुए संस्था की नीलम पंसारी ने इसमें शिरकत करने वाली सभी बहनों से आग्रह किया कि कोरोना संकट के बीच अपने आसपास के जरूरतमंदों का भी ख्याल रखें। उधर, जिला के राम-जानकी मंदिरों में अन्य वर्षो की भांति इस वर्ष भक्तों की भीड़ तो नहीं जुटी लेकिन विशेष पूजा-अर्चना की व्यवस्था की गई थी। कुछ लोगों ने जानकी नवमी के अवसर पर मंदिर पहुंचकर भगवती का दर्शन कर उनसे कल्याण का आशीर्वाद मांगा।
*सोशल मीडिया पर रही सीता नवमी की धूम*
सीता नवमी को लेकर इस वर्ष सर्वाधिक धूम सोशल मीडिया पर मची रही। लोगों ने अहले सुबह से देर रात तक एक-दूसरे को जानकी नवमी की बधाइयां दी तो अपने घरों में की जाने वाली पूजा की तस्वीरें भी पोस्ट कीं। जानकी नवमी पर पूजन करने का आह्वान-संदेश भी जमकर शेयर किए गए। वही मैथिली फिल्म अकादमी के शशि मोहन भारद्वाज ने मिथिला क्षेत्र के विभिन्न लोगों के संदेश के साथ प्रख्यात शंख वादक विपिन कुमार मिश्र के गीत लोगों तक पहुंचाए। लोगों ने सीता सोहर व अन्य सीता गीत गाकर भी शेयर किया।
इधर, आकाशवाणी दरभंगा की ओर से भी इस वर्ष जानकी नवमी पर कार्यक्रमों का प्रसारण किया गया। प्रातःकालीन समन्वित कार्यक्रम में जानकी प्राकट्य दिवस को स्मरण करते हुए विमर्श प्रसारित हुआ तो सीता से संबंधित गीत का प्रसारण भी हुआ। वही रात में डॉ. देवकांत मिश्र एवं फूलचंद्र झा प्रवीण की काव्य रचनाएं प्रसारित हुईं जो सीता पर केंद्रित थीं।
नासिर हुसैन, संवाददाता